केरल में 15 साल बाद यहूदी परंपरा से हुई शादी: अमेरिका से आया दूल्हा, इजरायल के रब्बी ने कराया यहूदी रीति-रीवाजों से विवाह संपन्न

परंपरागत शादी समारोह को एक रब्बी ने संपन्न कराया। वह इजरायल से यहां पहुंचे थे। दूल्हा, नासा में इंजीनियर है।

 

Kochi witnesses Jewish wedding: केरल का यहूदी समुदाय डेढ़ दशक बाद यहूदी रीति-रीवाजों के साथ पारंपरिक शादी समारोह का जश्न मनाया। राज्य के कोच्चि स्थित एक निजी रिसॉर्ट में यहूदी समाज के एक जोड़े की पारंपरिक शादी हुई। रविवार को हुई इस शादी में परिवार के सदस्यों, दोस्तों के अलावा यहूदी समाज के लोग शामिल हुए। परंपरागत शादी समारोह को एक रब्बी ने संपन्न कराया। वह इजरायल से यहां पहुंचे थे। दूल्हा, नासा में इंजीनियर है।

 

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दूल्हा अमेरिका में नासा इंजीनियर, दुल्हन का पिता डेटा साइंटिस्ट

कोच्चि में यहूदी समुदाय द्वारा अपने रीति-रीवाजों के अनुसार किए गए शादी को लेकर काफी उत्साह नजर आया। डेढ़ दशक बाद यहूदी समाज को किसी शादी समारोह में शामिल होने का मौका मिल रहा था। शादी में दोनों परिवारों के लोग तो शामिल ही हुए, उनके दोस्त और यहूदी समाज के भी लोग शामिल हुए। इस शादी समारोह में करीब 300 लोग गेस्ट थे। इजरायल से रब्बी एरियल टायसन इस शादी समारोह को संपन्न कराने के लिए विशेष रूप से आए थे। दूल्हा रिचर्ड ज़ाचरी रोवे नासा में इंजीनियर हैं और अमेरिकी नागरिक भी हैं। जबकि उनकी पत्नी राहेल मलाखाई के पिता बेनोय मलखाई, अमेरिका में एक डेटा साइंटिस्ट के साथ साथ क्राइम ब्रांच के एसपी रह चुके हैं।

सिनेगॉग के बाहर पहली शादी

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि यह पहली शादी थी जो सिनेगॉग से बाहर हुई। यहूदी परंपरा के अनुसार शादी समारोह एक छत्र जिसे घर का प्रतीक कहा जाता है उसमें हुआ। इसे यहूदी परंपरा में हुप्पा कहते हैं। केरल में यहूदी समाज की पिछली शादी 2008 में हुई थी। राज्य में होने वाली आखिरी यहूदी शादी 2008 में थेक्कुमभगम सिनेगॉग, मट्टनचेरी में लगभग दो दशकों के अंतराल के बाद हुई थी। चूंकि सभास्थल के अंदर गेस्ट की संख्या सीमित थी इसलिए परिवारों ने निजी रिसॉर्ट में समारोह आयोजित करने का फैसला किया ताकि परिवार के अन्य सदस्यों को भी अनुष्ठानों में गवाही देने की अनुमति मिल सके।

केरल में पहले यहूदी व्यापारी बहुतायत लेकिन अब सीमित परिवार

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, केरल पहुंचने वाले पहले यहूदी यहां व्यापार करने ही आए थे। ये लोग यहां के राजा सोलोमन के समय में आए थे। यहां इन लोगों ने व्यवसाय बढ़ा। यह 2000 साल से भी पहले की बात है। हालांकि, अब केरल में गिने-चुने ही यहूदी परिवार बचे हुए हैं।

 

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