कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। केंद्र सरकार पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए किसानों में अब गांधीगिरी अपनाने का फैसला किया। देशभर में सभी किसान सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास रखा। साथ ही कई जिला मुख्यालयों पर धरना भी दिया। राजधानी दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओ ने रविवार को बैठक की।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। केंद्र सरकार पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए किसानों में अब गांधीगिरी अपनाने का फैसला किया। देशभर में सभी किसान सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास रखा। साथ ही कई जिला मुख्यालयों पर धरना भी दिया। राजधानी दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओ ने रविवार को बैठक की। बैठक में तय किया गया कि किसान सिंधु, टीकरी, पलवल, गाजीपुर सहित सभी नाको पर अनशन पर बैठे।
गाजीपुर बॉर्डर से किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, हमारा आज का आंदोलन सफल और शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। हम बातचीत से इसका समाधान चाहते हैं। यहां से किसान वापस नहीं जाएगा। अगर पुलिस प्रशासन ने हमारी ट्रॉलियों को रोका तो ऊपर का रास्ता जाम करेंगे और हमें कुछ कहा तो गांवों में, थानों में पशु बाधेंगे।
सरकार की तरफ से प्रस्ताव नहीं मिला- टिकैत
उन्होंने कहा, अभी सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। प्रस्ताव आएगा तो जगह और टाइम, प्रशासन और सरकार द्वारा बताया जाएगा। हम दिल्ली के चारों ओर बैठ गए हैं सरकार का इंतजार कर रहे हैं।
10 राज्यों के किसानों ने किया समर्थन
वहीं, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को सही बताया है और कानूनों को सही बताया। तोमर ने कहा, हम किसानों से बातचीत के लिए तैयार हैं। वे हमारे प्रस्ताव पर विचार करके बताएं। निश्चित तौर पर हम आगे बातचीत करेंगे।
गडकरी से मिले नितिन गडकरी
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से उनके आवास पर मुलाकात की और हरियाणा में चल रही और विभिन्न प्रस्तावित परियोजनाओं पर चर्चा की।
बैठक के बाद किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को फौरन निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग लेने वाले सभी किसान यूनियन एक साथ हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद सोमवार को प्रेस कांफ्रेस में गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि किसान संगठन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। वह कृषि कानून को वापस करने की अपनी मांग पर कायम है। सरकार से इसपर कोई भी बातचीत करना चाहती है तो उसके लिए दरवाजे खुले हुए है।
देश भर के जिला मुख्यालयों का करेंगे घेराव
किसान नेता शिव कुमार सिंह कक्का ने कहा कि किसान मोर्चा ने जो फैसला लिया है आंदोलन में शामिल किसान उसके साथ है। किसान संगठन के लोग 14 दिसंबर को अनशन करेंगे। वह वहीं करेंगे जहां पर ही धरना दे रहे है। इसके साथ देशभर में जिला मुख्यालयों का घेराव किया जाएगा। वहां पर संगठन के लोग जिलाधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपेंगे। उन्होंने कहा कि आगे की रणनीति पर 15 दिसंबर की बैठक में बात की जाएगी।
दिल्ली आ रहे किसानों को बीच में ही रोक रही पुलिस
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली के लिए बड़ी संख्या में किसान कूच कर रहे है। उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान से किसान आ रहे है। मगर उन्हें जगह-जगह रोका जा रहा है। उत्तराखंड के किसानों को रामपुर में आगे आने से रोका जा रहा है। हरियाणा-यूपी बार्डर के किसानों को मुश्किल आ रही है। पलवल, होडल, रेवाड़ी पर किसानों को रोका जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील की है कि किसान जिन्हें दिल्ली आने से रोका जा रहा है। उन्हें जहां रोका जा रहा है वहीं पर धरना देने की अपील की है।
भाकियू का पश्चिम यूपी में होगा बड़ा प्रदर्शन
पश्चिम यूपी में भाकियू का सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। भाकियू नेताओं ने इसके लिए रणनीति तय की है। उधर जिला प्रशासन और पुलिस ने इसको लेकर अलर्ट है। शांतिपूर्ण आंदोलन का ऐलान है पर इसके बाद भी सतर्कता है। कोशिश यही है कि कहीं किसी तरह की टकराव न होने पाए। शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन चले। भाकियू असली ने जिला मुख्यालयो के अलावा तहसीलों में जहां सहूलियत हो वहां प्रदर्शन होंगे। भाकियू असली के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरपाल सिंह ने बताया कि किसान अब अडिग हैं। बार्डर पर लगातार आंदोलन में शामिल अन्य किसान संगठनों ने भी कमर कस ली है। अब सरकार से जंग आरपार की होगी।
1- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे।
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे।
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे।
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी।
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।
2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे।
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी।
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी।
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी।
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill
अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।