जिसने निर्भया के शरीर में डाली थी लोह की रॉड...वो आज लोगों को खाना खिलाकर ऐसे जी रहा जिंदगी

नई दिल्ली। निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार 20 मार्च को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। और इसी के साथ 16 दिसंबर की उस काली रात का भी अंत हो गया जिसका जिक्र करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 6 लोगों ने एक चलती बस में 23 साल की महिला की साथ सामूहिक दुष्कर्म कांड को अंजाम दिया

Asianet News Hindi | Published : Mar 20, 2020 10:22 AM IST / Updated: Mar 20 2020, 04:01 PM IST

नई दिल्ली। निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार 20 मार्च को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। और इसी के साथ 16 दिसंबर की उस काली रात का भी अंत हो गया जिसका जिक्र करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 6 लोगों ने एक चलती बस में 23 साल की महिला की साथ सामूहिक दुष्कर्म कांड को अंजाम दिया। इतनी वीभत्स घटना जिसने पूरे देश को हिला दिया। सड़क से लेकर संसद तक सिर्फ इंसाफ की मांग उठीं।
इस केस के 6 दोषी थे जिसमें से एक नाबालिग होने की वजह से छूट गया और एक दोषी ने जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वहीं बाकी बचे 4 दोषियों को 7 साल बाद फांसी दे दी गई और इसी के साथ निर्भया के साथ इंसाफ हुआ। लेकिन जिसने इस दुष्कर्म के लिए उकसाना जिसने निर्भया के शरीर में रॉड डाल कर आंत को बाहर निकाला वो नाबालिग दोषी आज भी जिंदा है। नाबालिग होने की वजह से जुवेनाइल कोर्ट से केवल तीन साल की सजा हुई। वहीं करीब पांच साल पहले इस नाबालिग दोषी को रिहा कर दिया गया।
6 आरोपियों में से यही सिर्फ एक इकलौता दोषी था जिसका नाम और चेहरा आज तक दुनिया के सामने नहीं आया। वारदात के वक्त वो नाबालिग था इसलिए बच गया अन्यथा आज वो भी फांसी के फंदे पर झूल रहा होता। ये नाबालिग दोषी अब कैसी जिंदगी जी रहा है क्या रहा है ये सवाल आपके जहन में आते होंगे।
गुमनाम की जिंदगी जी रहा दोषी
दोषी को सुरक्षा गृह में गहन सुरक्षा में रखा गया। इस दोषी के खिलाफ लोगों में इतना गुस्सा है कि इसको बार बार अपना नाम और जगह बदलनी पड़ती है। एक एनजीओ की मदद से अभी छोटा मोटा काम कर रहा है। आरोपी को सिलाई भी सिखाई गई लेकिन कुकिंग में जब दोषी ने रूची दिखाई तो कुकिंग का काम भी सिखाया गया। जेल से रिहा होने के बाद निर्भया का ये छठा दोषी दक्षिण भारत में कुक का काम कर रहा है। हालांकि बताया जा रहा है कि वह अपना नाम और पहचान बदलकर जीवन यापन कर रहा है। 
इस दुष्कर्म कांड से बदल दिया था कानून
वारदात के वक्त इस दोषी की उम्र 17 साल 6 महीने थी यानि कि बालिग होने में सिर्फ 6 महीने कम थे। नाबालिग होने की वजह से ही ये दोषी मौत की सजा से बच गया। लेकिन इस दुष्कर्म कांड के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी बलात्कार में शामिल किया गया। उससे पहले सेक्सुअल पेनिट्रेशन को रेप माना जाता था। संसद में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ जिसमें बलात्कार हत्या और एसिड अटैक जैसे क्रूरतम अपराधों में 16 से 18 साल के नाबालिग को इन अपराधों के लिए सजा हो सकती है। हालांकि अभी भी उम्र कैद या मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। 
कौन है नाबालिग दोषी 
11 साल की उम्र में घर के दैयनीय हालत से तंग आकर घर से भागकर दिल्ली आया। मां ने सोचा था कि बेटा 4 पैसे कमाएगा तो घर की स्थिती ठीक होगी। लेकिन दिल्ली आकर बुरी संगत में पड़। कई दिन फुटपाथ पर गुजारने के बाद उसकी मुलाकात बस ड्राइवर राम सिंह से हुई और वो उसके साथ बस क्लीनर का काम करने लगा।  
 

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