Explainar: अग्नि-5 की जद में पूरा चीन, जानें परमाणु हमला करने की क्षमता वाले दिव्यास्त्र की जबरदस्त ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी MIRV टेक्नोलॉजी के साथ अग्नि-5 मिसाइल के सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डीआरडीओ को बधाई दी है। यह मिसाइल अपने साथ 1.5 टन परमाणु हथियार ले जा सकता है।

Vivek Kumar | Published : Mar 11, 2024 2:09 PM IST / Updated: Mar 11 2024, 07:54 PM IST

नई दिल्ली। भारत के स्वदेशी परमाणु मिसाइल अग्नि-5 का सफल फ्लाइट टेस्ट MIRV टेक्नोलॉजी के साथ किया गया है। इसके लिए पीएम नरेद्र मोदी ने डीआरडीओ को बधाई दी है। अग्नि-5 जमीन से जमीन पर हमला करने वाला बैलिस्टिक मिसाइल है। भारत के इस दिव्यास्त्र का रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है। इसकी जद में पूरा चीन आता है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है।

तीन स्टेज वाले मिसाइल अग्नि-5 से परमाणु हमला किया जा सकता है। इसे ठोस इंधन वाले इंजन से ताकत मिलती है। यह अपने साथ 1.5 टन वजनी परमाणु हथियार ले जा सकता है। अग्नि 5 का पहला टेस्ट 2012 में किया गया था।

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50 हजार किलो है अग्नि-5 का वजन

अग्नि-5 ICBM (Indian intercontinental ballistic missile) है। इसका मतलब है कि यह दूसरे महाद्वीप तक जाकर अटैक कर सकता है। अग्नि पांच को ट्रक पर रखे गए कैनिस्टर सिस्टम से लॉन्च किया जाता है। 17.5 मीटर लंबे इस मिसाइल का व्यास 2 मीटर है। लॉन्च के वक्त इसका वजन करीब 50 हजार किलो होता है।

अग्नि 5 के पास एक साथ कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता है। इस तरह की क्षमता वाले मिसाइल सिर्फ भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन के पास हैं। अग्नि 5 अपने साथ 1-10 परमाणु हथियार ले जा सकता है। ये परमाणु हथियार एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर गिराए जा सकते हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइल है अग्नि-5

अग्नि-5 हाइपरसोनिक मिसाइल है। हाइपरसोनिक ऐसे मिसाइल को कहते हैं जिसकी रफ्तार हवा में आवाज की गति से कई गुना अधिक हो। अग्नि-5 की रफ्तार हवा में आवाज की गति से करीब 20 गुना तेज तक पहुंच जाती है। यह प्रति सेकंड 29,401 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचती है। अग्नि-5 को सटिक हमला करने के लिए बेहद उन्नत नेविगेशन सिस्टम से लैस किया गया है। इसमें रिंग लेजर जाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम लगाया गया है।

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अग्नि-5 को हवा में मार गिराना है कठिन

अग्नि-V अपने टारगेट की ओर बढ़ते समय रास्ता बदल सकता है, जिससे इसे हवा में मार गिराना कठिन होता है। लॉन्च किए जाने पर यह पहले ऊपर की ओर उठकर पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाता है। इसके बाद टारगेट की ओर बढ़ता है। करीब आने पर यह वापस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है। इस समय मिसाइल के सतह का तापमान 4,000 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ जाता है। मिसाइल की स्वदेशी रूप से विकसित हीट शील्ड अंदर के उपकरणों को बचाती है। अंदर का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना रहता है।

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