क्या कोलकाता में डॉक्टर हत्याकांड के दोषियों को मिलेगी फांसी?

कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में हुई डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के बाद दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग उठ रही है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए जस्टिस वर्मा पैनल की 2013 की रिपोर्ट पर गौर करना होगा।

नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (RG Kar Medical College) में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर से रेप और हत्या (Kolkata Doctor Rape Murder) मामले में सीबीआई जांच कर रही है। इस बीच दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की जा रही है। क्या गुनहगार फांसी के फंदे पर झूलेंगे? इस सवाल के जवाब के लिए आइए जानते हैं 2013 में जस्टिस वर्मा पैनल ने बलात्कारियों को फांसी की सजा देने पर क्या राय दी थी।

जस्टिस जे.एस. वर्मा समिति ने 2013 में आपराधिक कानूनों में बदलाव की सिफारिश की थी। इसमें साफ कहा गया था कि समिति रेप के दोषी को मौत की सजा देने की सिफारिश नहीं करना चाहती। यहां तक ​​कि सबसे दुर्लभ मामलों में भी यह सजा नहीं होनी चाहिए। मृत्युदंड की मांग करना अपराधी के सुधार के लिए उलटा कदम होगा।

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16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 23 साल की लड़की के साथ गैंगरेप के बाद इस समिति का गठन हुआ था। अध्यक्षता भारत के पूर्व चीफ जस्टिस जे.एस. वर्मा ने की थी। तीन सदस्यीय समिति में हिमाचल प्रदेश की पूर्व चीफ जस्टिस लीला सेठ और पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम शामिल थे।

जस्टिस वर्मा समिति ने की थी क्या सिफारिश?

जस्टिस वर्मा समिति ने सिफारिश की थी कि ऐसे बलात्कारी जो पीड़ित की मौत के लिए जिम्मेदार हैं, या उसे गंभीर चोट पहुंचाते हैं, उन्हें कम से कम 20 साल जेल की सजा दी जानी चाहिए। समिति ने मौजूदा और प्रस्तावित यौन अपराधों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सजा के मानदंड को बढ़ाने की सिफारिश की थी।

अपनी रिपोर्ट में समिति ने महिला का पीछा करना, कपड़े उतारना, मानव तस्करी, ताक-झांक और वैवाहिक बलात्कार को भी अपराध में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। सिफारिश की थी कि इस तरह के मामले में दोषी को तीन से पांच साल तक की सजा होनी चाहिए। समिति ने कहा था कि सही ढंग से लागू किया जाए तो मौजूदा बलात्कार विरोधी कानून पर्याप्त हैं। किशोरों की उम्र को 18 से घटाकर 16 साल नहीं किया जाना चाहिए।

बलात्कारियों को मृत्युदंड पर क्या है केंद्र सरकार का रुख?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2013 में यौन उत्पीड़न पर अध्यादेश को मंजूरी दी। सरकार ने संशोधनों को कानून में शामिल किया, लेकिन वर्मा समिति की मृत्युदंड संबंधी सिफारिश को नहीं अपनाया। मुख्य संशोधनों में उन मामलों में मृत्युदंड के प्रावधान रखे गए जिनमें बलात्कार के चलते पीड़िता की मौत हो जाती है या वह लगातार निष्क्रिय अवस्था में रहती है। बार-बार रेप करने वालों को भी मौत की सजा दी जा सकती है। 2018 में सरकार ने कानून में सुधार कर गैंगरेप के मामले में सभी दोषियों को मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया। भारतीय न्याय संहिता के धारा 64, 65 और 70 (2) में 18 साल से कम उम्र की महिला के साथ गैंगरेप के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।

यह भी पढ़ें- कोलकाता डॉक्टर हत्याकांड: संजय रॉय ने पॉलीग्राफ टेस्ट में CBI को क्या बताया?

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