जनरल कृष्णास्वामी सुंदर जी: वे आर्मी चीफ, जिन्होंने चीन और पाकिस्तान को सिखाया सबक

 जनरल कृष्णास्वामी सुंदर जी (Krishnaswamy Sundarji, PVSM) भारत के 13वें आर्मी चीफ थे। उनका निधन आज के दिन ही यानी 8 फरवरी 1999 को हुआ था। जनरल सुंदरजी आर्मी कमांडर थे, जब उन्हें ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था। इसके बाद आर्मी चीफ रहते हुए उन्होंने ऑपरेशन ब्रासटैक्स को अंजाम दिया था, जिसने पाकिस्तान की सेना में हड़कंप मचा दिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 8:32 AM IST

नई दिल्ली. जनरल कृष्णास्वामी सुंदर जी (Krishnaswamy Sundarji, PVSM) भारत के 13वें आर्मी चीफ थे। उनका निधन आज के दिन ही यानी 8 फरवरी 1999 को हुआ था। जनरल सुंदरजी आर्मी कमांडर थे, जब उन्हें ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था। इसके बाद आर्मी चीफ रहते हुए उन्होंने ऑपरेशन ब्रासटैक्स को अंजाम दिया था, जिसने पाकिस्तान की सेना में हड़कंप मचा दिया था। 

जनरल सुंदरजी को मिलिट्री ऑपरेशन के सर्वकालिक बेहतरीन रणनीतिकारों में से एक माना जाता है। वे दो साल तक भारतीय सेना में आर्मी चीफ रहे। 

जब पाकिस्तान को सताने लगा हमले का डर
सुंदर जी ने भारत के सैन्य सिद्धांत को फिर से लिखा। उन्होंने 1980 के दशक में भारत के अब तक के सबसे बड़े सैन्य अभ्यास ऑपरेशन ब्रासट्रैक्स को अंजाम दिया। इससे पाकिस्तान सकते में आ गया और उसे हमले का डर सताने लगा था। 

इतना ही जनरल सुंदरजी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक गुप्त हमले की योजना बनाई थी, ताकि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कश्मीर विवाद को हल किया जा सके। जिसके चलते दोनों परमाणु-सक्षम देशों के 1947 में स्वतंत्रता के बाद से तीन युद्ध हुए।

इतना ही नहीं उन्होंने इस ऑपरेशन में लगभग असंभव काम कर दिखाया। भारतीय सेना ने इसके तहत 13000 फीट ऊंचाई पर टैंक तैनात किए थे। लेकिन आखिरी समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस ऑपरेशन को बंद कर दिया। माइनस 30 डिग्री सेल्सियस वाले इस युद्ध क्षेत्र में 1980 के दशक में सैकड़ों जवानों ने अपनी शहादत दी थी। 

चीन के साथ भी लड़ा युद्ध
जनरल सुंदरजी ने उस चीन के साथ भी युद्ध किया, जिसके साथ भारत ने 1962 में एक क्षेत्रीय विवाद को लेकर युद्ध लड़ा था। 1986-87 में भारतीय सेना के प्रदर्शन ने पीएलए को बुरी तरह हिला कर रखा दिया था। उन्होंने 1980 के दशक में ऑपरेशन फाल्कन का भी नेतृत्व किया। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत को न्यूक्लियर ताकत बनाने की भी वकालत की थी।

ऑपरेशन ब्लूस्टार में निभाई अहम भूमिका
1984 में वे वेस्टर्न कमांड के प्रमुख थे। उन्होंने ऑपरेशन ब्लूस्टार को अंजाम दिया था। इसके तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से सिख अलगाववादियों का सफाया किया गया था। इस ऑपरेशन में 500 शामिल थे। इसमें 80 सैनिक, महिलाएं और बच्चों की मौत हुई थी। यह ऑपरेशन 72 घंटे चला था। 

जनरल सुंदरजी का जन्म 1928 में हुआ था। उन्होंने मद्रास क्रिश्चन कॉलेज से स्नातक किया और 1945 में भारत-ब्रिटिश आर्मी जॉइन की। इसके 2 साल बाद देश आजाद हो गया। 

करियर
- जनरल सुंदरजी ने अप्रैल 1946 में 2 महार बटालियन में कमीशन प्राप्त किया। 1 नवंबर 1963 से 10 नवंबर 1965 तक 1 महार बटालियन की कमान संभाली।
- इसके बाद उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) वेलिंगटन से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साथ ही उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन में मास्टर और मद्रास यूनिवर्सिटी से रक्षा अध्ययन में MSC किया। 

1985 में बने सेना प्रमुख 
 सुंदरजी ने ब्रिगेडियर के रूप में पूर्वी क्षेत्र में माउंटेन डिवीन की कमान संभाली। इसके बाद 11 इन्फेंट्री डिवीजन के जीओसी बने और उन्हें आर्मड डिवीजन की कमान संभाली। वे 1985 में भारत के आर्मी चीफ बने। उन्होंने 1947, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ सभी युद्धों में अहम भूमिका निभाई। 

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