पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को सजा-ए-मौत के खिलाफ अपील करने की उम्मीद जागी है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने गुरुवार को रिव्यू एंड री कंसीडरेशन यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ऑर्डिनेंस-2020 बिल को मंजूरी दे दी है। हालांकि अभी इसे सीनेट की स्वीकृति मिलना बाकी है।
इस्लामाबाद. पिछले 4 साल से पाकिस्तान की जेल में सजा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषध जाधव के मामले में एक उम्मीद की किरण जागी है। जाधव को पाकिस्तानी कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने गुरुवार को ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कन्सीडरेशन) ऑर्डिनेंस 2020’ बिल को मंजूरी दे दी। हालांकि इसे अब सीनेट से पास होना बाकी है। इस बिल के आने के बाद कुलभूषण जाधव अपनी सजा के खिलाफ अपील कर सकेंगे।
मिलिट्री कोर्ट से सजा पाने वाले विदेशी कैदी नहीं कर सकते अपील
अभी पाकिस्तान में मिलिट्री कोर्ट से सजा पाए विदेशी कैदी अपील नहीं कर सकते हैं। अगर यह बिल सीनेट से भी पास हो गया, तो ऐसी कैदियों को अपील करने का अधिकार मिल जाएगा। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, गुरुवार को पाकिस्तान के कानून मंत्री फरोग नसीम ने इस बिल को संसद में पेश किया था। बिल को अब सीनेट के पास भेजा जाएगा। अगर बिल को यहां से भी मंजूरी मिल गई, तो राष्ट्रपति इसे पर हस्ताक्षर कर देंगे और फिर ये एक कानून बन जाएगा।
ICJ ने सुधार करने को कहा था
कुलभूषण जाधव के मामले में सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने पाकिस्तान से अपने कानून में सुधार लाने को कहा था। इसका मकसद दूसरे देशों के कैदियों को न्याय दिलाना है। अगर यह बिल मंजूर हो जाता है, तो जाधव मिलिट्री कोर्ट के फैसले के खिलाफ हायर सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
रॉ एजेंट के आरोप में पकड़ा था
कुलभूषण को 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था। पाकिस्तान सरकार इन्हें RAW एजेंट मानती है। हालांकि भारत सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि कुलभूषण इंडियन नेवी के रिटायर्ड ऑफिसर हैं। वे अपने बिजनेस के लिए ईरान गए थे।
पाकिस्तान पर अगवा करने का आरोप
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पर कुलभूषण को किडनैप करने का आरोप लगता रहा है। मिलिट्री कोर्ट ने 2017 में कुलभूषण को सजा-ए-मौत दी थी। भारत इस मामले को ICJ लेकर गया था। यह मामला तभी से पेंडिंग पड़ा है। हालांकि ICJ ने सजा पर रोक लगा दी थी। इस मामले में जाधव की ओर से ICJ में भारत के ख्यात वकील हरीश साल्वे ने दलीलें पेश की थीं। वही, एनएसए अजीत डोभाल ने भी पाकिस्तान के तत्कालीन एनएसए नासिर खान जंजुआ से इस मुद्दे पर बातचीत की थी। इस संबंध में कई बार बातचीत हो चुकी हैं।
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