President Polls 2022: मिलिए बिहार के लालू यादव से जिनके हैं सात बच्चे, अब लड़ने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव

यह चौंकने की बात है कि लालू यादव (Lalu Yadav) इस बार राष्ट्रपति चुनाव (President Election) लड़ने की योजना बना चुके हैं। हालांकि ये वह लालू नहीं हैं जिन्हें जानते हैं बल्कि ये वह लालू हैं जिन्होंने नामांकन भरने के लिए दिल्ली का टिकट कटा लिया है।
 

पटना. सबकुछ सही रहा तो इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में लालू यादव भी एक चेहरा होंगे। होने वाले प्रेसीडेंट चुनाव में लालू यादव ने कुछ ऐसी ही योजना बनाई है। उनका मानना है कि राष्ट्रपति के चुनाव में किसी बिहारी का हिस्सा लेना जरूरी है। यह डेवलपमेंट उस सरगर्मी के बाद हुआ है, जिसमें नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का संभावित उम्मीदवार बताया जा रहा है। हालांकि यह आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव नहीं बल्कि बिहार के सारण में रहने वाले लालू यादव हैं। 

बिहार में यादव का नाम लालू से कितना जुड़ा है, यह किसी से छिपा नहीं है। यादव कहते हैं कि उन्होंने 15 जून को नामांकन करने के लिए दिल्ली का टिकट तक करा लिया है। उन्होंने 2017 में भी नामांकन पत्र दाखिल किया था। तब बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद व बिहार की बेटी मीरा कुमार से उनका मुकाबला होना था। जिसमें रामनाथ कोविंद को जीत मिली थी। यादव ने कहा कि पिछली बार अंतिम समय पर मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया था लेकिन इस बार मैंने ज्यादा तैयारी की है।

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सात बच्चों के पिता लालू यादव
बिहार के सारण जिले के मरहौरा विधानसभा में रहीमपुर गांव में वे रहते हैं। आरजेडी मुखिया लालू यादव के बड़े बेटे के बराबर करीब 42 वर्ष इनकी उम्र है। हालांकि उनका अपना परिवार भी  लालू प्रसाद यादव की तरह ही काफ बड़ा है। यादव ने बताया कि वे आजीविका के लिए खेती का काम करते हैं। थोड़ी समाजसेवा भी कर लेते हैं। उनके भी सात बच्चे हैं और सबसे बड़ी बेटी का विवाह हो चुका है। लालू यादव को भी लोग धरती पकड़ के नाम से बुलाने लगे हैं जो पब्लिसिटी पाने के हर चुनाव में किस्मत आजमाते हैं लेकिन लालू यादव इस पर कोई टिप्पणी नहीं करते।

आरजेडी से क्या कनेक्शन
यादव यह बात बड़े गर्व के साथ कहते हैं आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव मानते हैं उनकी पत्नी की 2014 लोकसभा चुनाव में हार का कारण वे ही थे। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने 2014 में सारण से लोकसभा चुनाव लड़ा क्योंकि 2013 में लालू यादव को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। तब नरेंद्र मोदी की लहर में राबड़ी देवी करीब 50 हजार वोटों से हार गईं थी और राजीव प्रताप रूडी सांसद बने थे। तब लालू यादव भी चुनाव लड़े थे 10 हजार से कम वोट मिला था। वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। लालू यादव कहते हैं मैं अपना भाग्य आजमाता रहूंगा। पंचायत से लेकर प्रेसीडेंट तक चुनाव लड़ूंगा और सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकार्ड बनाउंगा।

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