केंद्र सरकार चाहती है कि जजों की नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप हो। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू लगातार कॉलेजियम की आलोचना कर रहे हैं। रिजिजू के साथ उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी सार्वजनिक रूप से कई बार कॉलेजियम की खिलाफत कर चुके हैं।
Collegium row: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच लगातार तल्खी बढ़ती जा रही है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू, कॉलेजियम की आलोचना करने का कोई मौका नहीं चूकना चाह रहे हैं। दिल्ली बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में रिजिजू ने कॉलेजियम पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि जजों को एक बार जज बनने के बाद आम चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता है। उनकी सार्वजनिक जांच भी नहीं होती है। जजों को आम जनता नहीं चुनती है और यही वजह है कि जनता जजों को बदल भी नहीं सकती लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि जनता आपको देख नहीं रही है।
सरकार बनाम न्यायापालिका डिबेट में पहुंचे थे रिजिजू
दिल्ली बार एसोसिएशन के एक डिबेट सरकार बनाम न्यायापालिका में प्रमुख वक्ता के रूप में शामिल केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है। फिर भी वे जनता के नजरों में हैं। लोग आपको देख रहे हैं आपको जज कर रहे हैं। आपके निर्णय, आपकी कार्य प्रक्रिया, आप न्याय कैसे प्रदान करते हैं ... लोग देख सकते हैं, और आकलन कर सकते हैं ... वे राय बनाते हैं। उन्होंने अपने दर्शकों को यह भी याद दिलाया कि सोशल मीडिया के आगमन के साथ लोगों के पास अब बोलने की शक्ति है। यह पुराने दिनों की तरह नहीं है, जब कोई मंच नहीं था और केवल नेता ही बोल सकते थे।
1947 के बाद कई बदलाव हुए, यह बदलाव जारी रहेंगे...
रिजिजू ने कहा कि 1947 के बाद से कई बदलाव हुए हैं इसलिए यह सोचना गलत होगा कि मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी और इस पर कभी सवाल नहीं उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बदलती स्थिति है जो आवश्यकता को निर्धारित करती है। यही कारण है कि संविधान को सौ से अधिक बार संशोधित किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति में एक बड़ी भूमिका चाहती है क्योंकि विधायिका सर्वोच्च है। यहां लोगों का प्रतिनिधित्व है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट यह संदेश दे रहा है कि संसद कानून बना सकती है लेकिन न्यायपालिका इसको लेकर फैसला कर सकता है। सारी शक्ति न्यायापालिका में निहित है। तो कल लोग यह भी कहने लगेंगे कि बुनियादी ढांचा भी संविधान का हिस्सा नहीं है।
दरअसल, कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम सिस्टम की पिछले कुछ महीनों से लगातार आलोचना कर रहे हैं। वह इसमें सरकार की भूमिका की वकालत कर रहे हैं।
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