वामपंथी दलों ने आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की रिहाई की मांग की है। लेफ्ट पार्टियों ने पत्रकारों की गिरफ्तारी पर सरकार की खिंचाई भी की है।
नई दिल्ली. आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को लेकर वाम दलों ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पूछा कि नफरत फैलाने वाले आजाद कैसे हैं और उन्हें उजागर करने वाला सलाखों के पीछे हैं। पार्टियों ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। पार्टियों ने कहा कि नफरत करने वाले दक्षिणपंथियों को शासकों से संरक्षण मिल रहा है। देश को बदनाम करने वाले तथाकथित फ्रिंज तत्वों को संरक्षित किया जा रहा है।
सीपीआई महासचिव डी राजा ने ट्वीट किया कि मोहम्मद जुबैर जैसे युवा पत्रकार, जो देश रक्षा के लिए काम कर रहे हैं, सलाखों के पीछे हैं। यह निंदनीय है। फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अपने ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने आरोप लगाया कि जुबैर को एक ऐसे मामले में गिरफ्तार किया गया जिसके लिए पुलिस ने कोई नोटिस नहीं दिया। जो धाराएं लगाई गई हैं, उन धाराओं के लिए कानून के तहत गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है।
महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ट्वीट किया कि नूपुर फ्रिंज शर्मा राज्य की पहुंच से दूर खुलेआम घूमती हैं। मोहम्मद जुबैर जिन्होंने दुनिया के नजर में नफरत भरे बयान लाने का काम किया, वे शासन की कार्रवाई के केंद्र में हैं। जुबैर सोमवार को 2020 में ट्वीट के सिलसिले में अपने खिलाफ दर्ज एक मामले की जांच में शामिल हुए। जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट दी थी, जिसमें वह ट्वीट आपत्तिजनक नहीं पाया गया। उनके बाद के ट्वीट्स संदिग्ध और अपमानजनक पाए गए हैं। पुलिस ने कहा कि एफआईआर की जांच की जा रही है। भाकपा-मार्क्सवादी महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट में कहा कि जुबैर को तुरंत रिहा करें।
क्यों हुई जुबैर की गिरफ्तारी
आल्ट न्यूज सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने 4 साल पहले ट्विटर पर एक फोटो शेयर की थी। इस फोटो को शेयर करते हुए जुबैर ने कमेंट में आपत्तिनजक बात लिखी थी। इसके बाद 27 जून को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जुबैर पर हिंदु आस्थावानों की भाननाएं भड़काने का आरोप है।
यह भी पढ़ें