लोकसभा चुनाव 2024: क्या मतदान के दिन पेड लिव से इनकार करना कानून द्वारा दंडनीय माना जाता है? जानें

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने 16 मार्च को घोषणा की कि लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होंगे। चुनाव 19 और 26 अप्रैल, 7 मई, 13 13 मई, 20, 25, और 1 जून को होंगे।

लोकसभा चुनाव 2024। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने 16 मार्च को घोषणा की कि लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होंगे। चुनाव 19 और 26 अप्रैल, 7 मई, 13 13 मई, 20, 25, और 1 जून को होंगे। बता दें कि 25 मई को छोड़कर ये सभी कार्यदिवस हैं। इससे एक मन में सवाल उठता है कि क्या वोटिंग के दिन कर्मचारियों के लिए पेड लिव हैं? इसको लेकर कानून क्या कहता है और इसका उल्लंघन करने पर क्या परिणाम होंगे? दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली को छोड़कर भारत के सभी प्रमुख महानगरों में सप्ताह के दिनों में मतदान होगा। इसके अलावा 25 मई को भी मतदान होगा, जो शनिवार के दिन पड़ रहा है।

मतदान के दिनों में पेड लिव क्यों दी जाती हैं?

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वोट देने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है, इस प्रकार 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति भारत में वोट देने का हकदार है। इस अधिकार का इस्तेमाल भारत के चुनावी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए संविधान के अनुसार किसी नागरिक को वोट देने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके कारण जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, (आरपी अधिनियम) कहता है कि हर एक कॉरपोरेट कंपनी या सरकारी कंपनी को अपने क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी।

क्रेड ज्यूर के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर महिन्द्रो ने कहा, "आरपी अधिनियम की धारा 135 बी के अनुसार, सभी संगठनों के लिए चुनाव की तारीख पर अपने कर्मचारियों को पेड लिव देना अनिवार्य है, चाहे वह केंद्र हो या राज्य।" आरपी अधिनियम की धारा 135 बी स्पष्ट करता है कि किसी कर्मचारी को पेड लिव देना जाना चाहिए। इस तरह से उस दिन का उसका वेतन/वेतन नहीं काटा जा सकता है।

पेड लिव पर एक्सपर्ट्स की राय

पेड लिव पर RR लीगल के पार्टनर अभिषेक अवस्थी कहते हैं कि नियोक्ता को चुनाव के दिन सभी पात्र कर्मचारियों को पेड लिव देना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वेतन में कोई कटौती या कमी न हो।भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ऋषि सहगल ने कहा कि यह प्रावधान सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों पर लागू है। कानून के मुताबिक, दैनिक वेतन भोगी मजदूरों और कैजुअल कर्मचारियों को भी सवेतन छुट्टियां दी जानी चाहिए।

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