अयोध्या सीट पर सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह को हरा दिया है। जिन प्रभु श्रीराम के नाम पर भाजपा सत्ता के शिखर तक पहुंची, उसी अयोध्या की सीट आखिर उसके हाथ से क्यों फिसल गई। जानते हैं 5 बड़ी वजहें।
अयोध्या। फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाली रामनगरी अयोध्या सीट पर सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह को हरा दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिनके नाम पर भाजपा सत्ता के शिखर तक पहुंची, उसी अयोध्या की सीट उसके हाथ से क्यों फिसल गई। इसे समझने के लिए फैजाबाद लोकसभा सीट के वो समीकरण समझने होंगे, जिनकी वजह से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। जानते हैं बीजेपी की हार की 5 सबसे बड़ी वजहें।
1- प्रत्याशी की एंटी इनकम्बेंसी BJP पर भारी
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 में सिटिंग सांसद लल्लू सिंह को जीत का परचम फहराने के मकसद से टिकट दिया। लेकिन उनकी नेगेटिव इमेज ने चुनाव में उनका पीछा नहीं छोड़ा। स्थानीय लोगों से जुड़ाव की कमी के चलते उन्हें करारी शिकस्त मिली है। स्थानीय लोगों से इसका मर्म जानने की कोशिश की गई तो वह छूटते ही कहते हैं कि पिछले 10 सालों में उन्होंने इलाके के लिए क्या किया? किसी काम के लिए एप्लीकेशन देने जाओ तो रूखा व्यवहार झेलना पड़ता था। मतलब साफ है कि फैजाबाद सीट पर प्रत्याशी की एंटी इनकम्बेंसी बीजेपी पर भारी पड़ी।
2- ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी
सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा से हैं, जहां ब्राह्मण मतदाताओं की अच्छी संख्या है। उसके बावजूद वो वहीं से विधायक हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वह सवर्ण और दलित वोटरों को साथ लेकर चले, जिसका फायदा उन्हें मिला। इसके उलट बीजेपी प्रत्याशी समय रहते मतदाताओं की नाराजगी दूर नहीं कर पाए। लोग कहते हैं कि यदि भाजपा ने लल्लू सिंह की जगह किसी और को प्रत्याशी बनाया होता तो उसे जीत जरूर मिलती।
3- PDA कर गया काम
अखिलेश यादव ने M-Y समीकरण से आगे चलकर पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम किया। फैजाबाद सीट पर उनका यह फॉर्मूला काम कर गया। मुस्लिम, यादव और पासी जाति के एकरतफा वोट सपा की तरफ गए।
4- कांग्रेस का वोट ट्रांसफर
चुनावी समीकरणों परनजर डाली जाए तो पता चलता है कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से निर्मल खत्री, सपा के आनंद सेन यादव और बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह के बीच टक्कर थी। लल्लू सिंह 50 हजार वोटों से जीते थे। कांग्रेस के निर्मल खत्री को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसी को ध्यान में रखते हुए समाजवादी पार्टी ने विधायक अवधेश प्रसाद को प्रत्याशी बनाया। ताकि उन्हें कांग्रेस के कोर वोट बैंक का फायदा मिल सके।
5- ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ नहीं
फैजाबाद लोकसभा सीट में पांच विधानसभा सीटें गोसाईगंज, रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर और अयोध्या आती हैं। विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने अयोध्या (वेदप्रकाश गुप्ता), बीकापुर (अमित सिंह) और रुदौली (रामचंद्र यादव) सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि सपा के अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर सीट से विधायक बने थे और अभय सिंह ने गोसाईगंज सीट पर कब्जा जमाया था। अयोध्या विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो अन्य ग्रामीण इलाकों वाले विधानसभा क्षेत्रों में वोटरों पर उनकी पकड़ कमजोर रही।
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