उत्तर प्रदेश में भाजपा के पिछड़ने का एक सबसे बड़ा कारण ये है कि यहां भाजपा ने बहुत कम टिकट काटे। भाजपा ने अलोकप्रिय सांसदों को टिकट दिया।
UP में टिकट चयन को लेकर BJP से जो गलियतां हुईं, उसके कारण एकतरफा जीत की जो उम्मीद थी, वो अब पूरी तरह धूमिल नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश में लोकल मुद्दों पर चुनाव लड़े गए। जनता ने वोट भी उसी के मुताबिक दिया।
केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना से लोगों में काफी गुस्सा था। इसका असर नतीजों पर भी साफ देखा जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों में यूपी से एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं। पेपर लीक की घटना ने हजारों-लाखों छात्रों की मेहनत पर पानी फेर दिया।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण रोजगार का मुद्दा भी रहा। लंबे समय से राज्य के युवाओं के पास रोजगार नहीं है।
UP में बीजेपी की जमीन खिसकने की एक वजह संविधान और आरक्षण का मुद्दा भी है। विपक्ष के नेता जनता से कहते रहे कि बीजेपी अगर 400 सीटें जीती तो संविधान में बदलाव कर आरक्षण हटा देगी।
इस बार चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती का जादू जरा भी नहीं चला। यहां तक कि बसपा के कोर वोटर्स ने भी मायावती के उम्मीदवारों की जगह सपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को वोट दिया।
यूपी में बीजेपी के पिछड़ने की एक वजह महंगाई का मुद्दा भी रहा। खाने-पीने की चीजों के अलावा रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल और रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम ने लोगों को परेशान किया।
कांग्रेस ने गरीब महिलाओं को हर महीने 8500 रुपए और सालाना 1 लाख रुपए देने का वादा किया। ये मुद्दा कहीं न कहीं वोटर्स को बीजेपी से दूर ले गया।