सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन रद्द हो गया। आठ अन्य उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया।
नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव 2024 हो रहे हैं। सात चरणों में हो रहे चुनाव के परिणाम 4 जून को आने वाले हैं। इससे पहले ही सोमवार को भाजपा के लिए खुश खबरी आई। भाजपा ने मतदान से पहले ही एक सीट पर जीत दर्ज कर ली है। दरअसल, सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं।
सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन खारिज कर दिया गया। वह अपने तीन प्रस्तावकों में से एक को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए। इसके चलते उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया। आठ अन्य दलों के प्रत्याशी व निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए। इसके चलते मुकेश दलाल के निर्विरोध चुनाव जीतने का रास्ता साफ हो गया। अब सूरत में चुनाव कराने की जरूरत नहीं रह गई है।
नीलेश कुंभाणी के प्रस्तावकों के साइन को लेकर हुआ था विवाद
कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी के नामांकन फॉर्म में तीन प्रस्तावकों के साइन में गड़बड़ी को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। इसके बाद कुंभाणी को अपने प्रस्तावकों को चुनाव अधिकारी के सामने पेश करना था ताकि साइन सत्यापित हो सके, लेकिन वे एक भी प्रस्तावक चुनाव अधिकारी के सामने नहीं ला सके।
सुरेश पडसाला का नामांकन भी हुआ खारिज
कांग्रेस को पहले ही संदेह था कि नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द हो सकता है। इसलिए पार्टी ने सुरेश पडसाला से भी नामांकन कराया था ताकि अगर कुंभाणी की उम्मीदवारी खारिज हो तो सुरेश चुनाव लड़ सकें। हालांकि चुनाव अधिकारी द्वारा सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी अमान्य कर दिया गया। इससे कांग्रेस चुनाव मैदान से बाहर हो गई।
प्रस्तावकों के साइन में थी गड़बड़ी
रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि नीलेश कुंभानी और सुरेश पडसाला ने चार नामांकन फॉर्म दाखिल किए थे। जांच के दौरान पहली नजर में इनके प्रस्तावकों के साइन में गड़बड़ी पाई गई। वे असली नहीं लगे। इसके चलते नामांकन खारिज किए गए। प्रस्तावकों ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने खुद फॉर्म पर साइन किए हैं। कुंभानी के तीन प्रस्तावक उनके रिश्तेदार थे।
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रिटर्निंग ऑफिसर ने नीलेश कुंभानी को जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया था। कांग्रेस प्रत्याशी अपने वकील के साथ चुनाव अधिकारी के पास आए, लेकिन उनके तीन प्रस्तावकों में से कोई नहीं आया।
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