लोकसभा चुनाव 2024: जानें कैसे होती है वोटों की गिनती, कैसे देख सकते हैं रिजल्ट

4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए देशभर में 543 लोकसभा सीटों पर डाले गए वोटों की गिनती होगी। इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा बेहद पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

 

Vivek Kumar | Published : Jun 3, 2024 10:21 AM IST / Updated: Jun 05 2024, 05:06 PM IST

नई दिल्ली। 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट आने वाला है। सात चरणों में देशभर के 543 लोकसभा सीटों पर डाले गए वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होगी। चुनाव आयोग ने पारदर्शी मतगणना प्रक्रिया का आश्वासन दिया है।

मतगणना की क्या है प्रक्रिया

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4 जून को लोकसभा के 543 सीटों के साथ ही आंध्र प्रदेश व ओडिशा के विधानसभा चुनाव के लिए डाले गए वोटों की भी गिनती होगी। विधानसभा के सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए डाले गए वोट भी गिने जाएंगे। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होगी। वोटों की गिनती चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 66ए के अनुसार होती है । इसे चुनाव संचालन (संशोधन) नियम, 1992 द्वारा संशोधित किया गया है।

मतों की गिनती का काम रिटर्निंग ऑफिसर के अधिकार क्षेत्र में आता है। रिटर्निंग ऑफिसर को चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकार के सहयोग से प्रत्येक चुनावी जिले की निगरानी के लिए नियुक्त किया जाता है। सहायक रिटर्निंग ऑफिसर के पास मतगणना प्रक्रिया की देखरेख करने का कानूनी अधिकार भी होता है। यदि कोई रिटर्निंग ऑफिसर कई संसदीय या विधानसभा क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार है तो उनके सहायक अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मतगणना कर सकते हैं।

 

 

निर्वाचन अधिकारी मतदान के दिन से कम से कम एक सप्ताह पहले प्रत्येक उम्मीदवार या उनके चुनाव प्रतिनिधि को मतगणना की तिथि, समय और स्थान के बारे में लिखित रूप में बताते हैं। वोटों की गिनती मतगणना केंद्रों पर होती है। केंद्र में एक या अधिक मतगणना हॉल हो सकते हैं।

प्रत्येक काउंटिंग हॉल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की कंट्रोल यूनिट के लिए 7 से 14 काउंटिंग टेबल होते हैं। डाक मतपत्रों की गिनती के लिए एक अतिरिक्त टेबल होता है। इसमें बदलाव है तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है। प्रत्येक हॉल में एक समय में केवल एक विधानसभा क्षेत्र या खंड के वोटों की गिनती की जाती है।

जिस टेबल पर वोटों को गिना जाता है उसे लकड़ी के ब्लॉक और तार की जाली से बने बैरिकेड के सामने रखा जाता है। बैरियर के पीछे मतगणना एजेंट बैठते या खड़े होते हैं। वे ईवीएम के कंट्रोल यूनिट, वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपीएटी) या पोस्टल बैलेट तक नहीं पहुंच सकते। वे जाली से पीछे रहते हुए मतगणना को देखते हैं।

प्रत्येक मतगणना हॉल में एक बड़ा ब्लैकबोर्ड, व्हाइटबोर्ड या टीवी पर उम्मीदवारों के नाम और राउंड नंबर दिखाए जाते हैं। पर्यवेक्षक द्वारा सर्टिफाइड किए जाने के बाद राउंड के परिणाम दिखाए जाते हैं। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा घोषणा की जाती है। इस घोषणा के बाद ही अगले राउंड के लिए कंट्रोल यूनिट को स्ट्रांग रूम से लाया जाता है। डाक मतपत्रों की गिनती के लिए निर्धारित प्रत्येक मतगणना टेबल सहित एक माइक्रो ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाता है। यह अधिकारी ग्रुप 'सी' से नीचे का नहीं होता है।

मतगणना एजेंट की पात्रता

चुनाव आयोग के अनुसार मतगणना एजेंट बनने के लिए खास योग्यता की जरूरत नहीं होती। हालांकि, उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे मतगणना प्रक्रिया के दौरान प्रभावी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को नियुक्त करें।

प्रत्येक उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में जितने भी मतगणना टेबल हैं, उतने मतगणना एजेंट नियुक्त करने का अधिकार है। इसमें डाक मतपत्रों की गिनती के लिए नामित एजेंट भी शामिल हैं। उम्मीदवार या उनके चुनाव एजेंट के नहीं रहने पर रिटर्निंग ऑफिसर की टेबल पर मतगणना प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक अतिरिक्त मतगणना एजेंट नियुक्त किया जा सकता है।

कैसे गिने जाते हैं वोट?

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार रिटर्निंग ऑफिसर को निर्धारित समय पर मतगणना प्रक्रिया शुरू करनी होती है। जिन ईवीएम से मतदान कराया गया है उन्हें स्ट्रॉग रूम में रखा जाता है। वोटों की गिनती से पहले स्ट्रांग रूम को पर्यवेक्षक, रिटर्निंग ऑफिसर और उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंटों की उपस्थिति में खोला जाता है। लॉक की सील की जांच की जाती है। उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंटों को सील दिखाया जाता है। कोई आपत्ति नहीं होने पर उसे तोड़ा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में ईवीएम के कंट्रोल यूनिट, वीवीपीएटी और संबंधित दस्तावेजों को स्ट्रांग रूम से काउंटिंग हॉल तक ले जाया जाता है।

मतगणना के दौरान मतगणना एजेंट और अन्य लोगों को मतगणना केंद्र छोड़ने की मनाही होती है। परिणाम घोषित होने के बाद ही उन्हें बाहर निकलने की अनुमति दी जाती है। वीवीपैट काउंटिंग बूथ में वीवीपैट पर्चियों की गिनती के निरीक्षण में शामिल नहीं होने वाले मतगणना एजेंटों को आरओ द्वारा कंट्रोल यूनिट और पोस्टल बैलेट में वोटों की गिनती पूरी होने के बाद मतगणना हॉल छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है। पहले डाक मतपत्रों की गिनती की जाती है। डाक मतपत्रों की गिनती शुरू होने के तीस मिनट बाद ईवीएम से मतों की गिनती शुरू होनी चाहिए। अगर निर्वाचन क्षेत्र में डाक मतपत्र नहीं हैं तो ईवीएम से मतों की गिनती पहले शुरू हो सकती है।

ईवीएम की मदद से कितने वोट डाले गए हैं और ये किसे मिले हैं। यह गिनने के लिए EVM के कंट्रोल यूनिट को ऑन किया जाता है। इससे पता चल जाता है कि किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं। इस जानकारी को फॉर्म 20 में दर्ज किया जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर फॉर्म 20 में दर्ज प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए मतों की घोषणा करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार या उनका चुनाव एजेंट पुनर्मतगणना का अनुरोध करता है तो आरओ को पुनर्मतगणना के लिए लिखित आवेदन जमा करने के लिए आवश्यक समय के बारे में पूछना चाहिए।

ऐसे मामलों में जहां जीत का अंतर गिनती के दौरान अमान्य घोषित किए गए डाक मतपत्रों की संख्या से कम है, रिजल्ट घोषित करने से पहले सभी रद्द किए गए डाक मतपत्रों को आरओ द्वारा फिर से सत्यापित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है।

कैसे होती है परिणामों की घोषणा?

मतगणना और सत्यापन पूरा होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर आधिकारिक तौर पर चुनाव परिणामों की घोषणा करते हैं। इससे पहले वह पर्यवेक्षकों से पूछते हैं कि कोई आपत्ति तो नहीं है। फॉर्म 20 में रिजल्ट की सभी जानकारी भरी जाती है। इसके बाद उसपर साइन किए जाते हैं। पर्यवेक्षक से एनओसी लिया जाता है। इसके बाद सबसे अधिक वैध वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है।

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आप कैसे देख सकते हैं रिजल्ट?

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर/सहायक रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दर्ज किए गए डेटा के आधार पर मतगणना के रुझान और नतीजे ईसीआई की वेबसाइट https://results.eci.gov.in/ और वोटर हेल्पलाइन ऐप पर उपलब्ध होंगे। वोटर हेल्पलाइन ऐप iOS और एंड्रॉइड दोनों डिवाइस के लिए उपलब्ध है।

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परिणाम घोषित होने के बाद सभी कंट्रोल यूनिट के पावर पैक हटा दिए जाते हैं। उन्हें उनके कैरीइंग केस में रख दिया जाता है, जिसे फिर एड्रेस टैग से सील कर दिया जाता है। इसके अलावा VVPAT से छपी हुई पेपर स्लिप को निकाला जाता है और अलग-अलग काले लिफाफों में सील कर दिया जाता है, जिसमें प्रत्येक VVPAT को एक लिफाफा आवंटित किया जाता है। फिर इन लिफाफों को ट्रंक में रखा जाता है, जिनमें से प्रत्येक में एक विधानसभा क्षेत्र (AC) या विधानसभा खंड (AS) के लिए लिफाफे होते हैं, जिन पर सभी प्रासंगिक चुनाव विवरण अंकित होते हैं।

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