इस बार राहुल गांधी के लिए कठिन है वायनाड में चुनावी जंग, लेफ्ट-भाजपा ने उतारे महारथी

केरल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए चुनावी लड़ाई इस बार कठिन होने वाली है। सीपीआई और भाजपा ने यहां से कद्दावर नेताओं को उतारा है।

Vivek Kumar | Published : Apr 5, 2024 2:06 PM IST / Updated: Apr 05 2024, 07:38 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के सबसे हाई प्रोफाइल सीटों की बात करें तो उनमें से एक केरल का वायनाड है। यहां से कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनावी मैदान में हैं। 2019 के आम चुनाव में राहुल को यहां बड़ी जीत मिली है। हालांकि 2024 में स्थिति अलग है।

वायनाड में वामपंथी पार्टी और भाजपा ने राहुल गांधी को चुनावी जंग में मात देने के लिए अपने महारथियों को उतारा है। स्थिति यह है कि वायनाड के तीनों उम्मीदवार एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। मुकाबला कांटे का है। सीपीआई ने वायनाड से एनी राजा को उतारा है। वह सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। एनी राजा केरल की कद्दावर नेता हैं। दूसरी ओर भाजपा ने वायनाड से अपने केरल प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को उतारा है।

क्या बंट जाएगा मुस्लिम वोट बैंक?

2019 के चुनाव में सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे राहुल गांधी ने वायनाड को उसके राजनीतिक समीकरण के चलते चुना था। यहां 32 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ईसाई 13 फीसदी हैं। अनुसूचित जनजाति के लोग 9.5 फीसदी और अनुसूचित जाति के लोग 3 फीसदी हैं। अल्पसंख्यक बहुल इस सीट पर मुस्लिमों के सपोर्ट के बिना जीत मुश्किल है।

सीपीआई की ओर से मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर करने की पूरी कोशिश की जा रही है। पार्टी सीएए को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है। इस मुद्दे पर कांग्रेस की स्थिति इधर कुआं उधर खाई वाली है। कांग्रेस को डर है कि सीएए पर वामपंथी दलों की तरह कड़ा रुख लिया तो हिंदू वोटर नाराज हो सकते हैं। वहीं, ऐसा नहीं किया तो मुसलमान लेफ्ट के साथ जा सकते हैं।

झंडे को लेकर राजनीति

सीपीआई और IUML विपक्षी दलों के मोर्चे INDIA में शामिल है। कांग्रेस INDIA मोर्चे की सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन केरल में INDIA मोर्चे के दलों के बीच ही लड़ाई हो रही है। सीबीआई ने पहले ही कहा है कि राहुल गांधी लेफ्ट से लड़ने के लिए वायनाड क्यों आए हैं? राहुल गांधी ने वायनाड सीट के लिए नामांकन दाखिल करने के मौके पर करीब 2 किलोमीटर लंबा रोड शो किया। इस दौरान कांग्रेस के साथ-साथ उसके सहयोगी IUML पार्टी के झंडे नहीं दिखे। इसको लेकर खूब राजनीति हो रही है।

2019 में राहुल गांधी की रैली में IUML के झंडे दिखे थे। IUML का झंडा हरे रंग का है। इसमें आधा चांद है। भाजपा ने इसे पाकिस्तान का झंडा बताकर आलोचना की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "जब कोई जुलूस निकाला जाता है, तो आप यह पता नहीं लगा सकते कि यह भारत में है या पाकिस्तान में।" इस बार कांग्रेस ने सावधानी बरतते हुए IUML नहीं लगाए। इसकी जगह राहुल गांधी की तस्वीर वाली तख्तियों को इस्तेमाल किया गया। इसपर केरल के सीएम पी. विजयन ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के पास मुस्लिम लीग के झंडों के साथ दिखने की हिम्मत नहीं है।

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भाजपा के चलते बंट सकते हैं हिंदू वोट

कांग्रेस को पहले वायनाड के हिंदुओं का वोट मिलता था। इस बार स्थिति बदल सकती है। भाजपा ने अपने कद्दावर नेता के सुरेंद्रन को मैदान में उतारा है। इसके चलते कांग्रेस को डर है कि हिंदू वोट बंट सकते हैं।

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