सार

लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव बेहद कन्फ्यूज नजर आ रहे हैं। उन्होंने छह सीटों पर सात उम्मीदवार बदल दिए हैं।

 

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव बेहद कन्फ्यूज नजर आ रहे हैं। सीटों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव को लेकर सपा में सही तरीके से फैसला नहीं हो पा रहा है। भ्रम की स्थिति नजर आ रही है। यही वजह है कि सपा ने एक दो नहीं छह सीटों पर सात उम्मीदवारों को बदला है।

गुरुवार को सपा ने सुनीता वर्मा को मरेठ से उम्मीदवार घोषित किया। मेरठ से वह सपा द्वारा घोषित तीसरी उम्मीदवार हैं। इससे पहले पार्टी ने यहां से वकील भानु प्रताप सिंह और सरधना विधायक अतुल प्रधान को टिकट दिया था, लेकिन जल्द ही वापस ले लिया था। सुनीता वर्मा मेरठ की पूर्व मेयर हैं।

अखिलेश यादव ने अतुल प्रधान और सुनीता के पति और पूर्व विधायक योगेश वर्मा को गुरुवार सुबह लखनऊ बुलाया था। बैठक में चर्चा के बाद अखिलेश ने सुनीता को मैदान में उतारने का फैसला किया। इतनी अधिक संख्या में उम्मीदवारों को बदलने से सपा के कार्यकर्ता भी परेशान हैं। हालांकि, पार्टी की ओर से कहा गया है कि निर्वाचन क्षेत्रों के स्थानीय नेताओं के अनुरोध और मतदाताओं के मूड को देखते हुए उम्मीदवारों को बदला जा रहा है। सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी नेतृत्व हर निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की बात सुन रहा। अखिलेश यादव ने सभी पक्षों से बात की है। इसके बाद उम्मीदवार पर फैसला लिया है।

मुरादाबाद में सपा ने बदला उम्मीदवार फिर फैसला लिया वापस

मुरादाबाद में भी सपा ने अपने प्रत्याशी को बदला है। यहां पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को उम्मीदवार बनाया गया था। उन्होंने नामांकन दाखिल भी कर दिया, लेकिन बाद में पार्टी ने रुचि वीरा को टिकट दे दिया। कहा जा रहा है कि यह फैसला आजम खान के चलते लिया गया। रुचि वीरा ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के कुछ मिनट बाद हसन को पार्टी प्रमुख से एक और पत्र मिला। इस पत्र में उन्हें 'असली' उम्मीदवार घोषित किया गया और रुचि वीरा की उम्मीदवारी को खारिज किया गया था।

रामपुर में भी दिखा कन्फ्यूजन

रामपुर के लिए उम्मीदवार चुनने में भी सपा नेतृत्व कन्फ्यूजन में दिखा। पार्टी ने पहले आजम खान से कहा कि अपने पसंद का उम्मीदवार बताएं। खान ने सबसे पहले अखिलेश या उनके परिवार के किसी सदस्य को इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा। सपा नेतृत्व ने मैनपुरी के पूर्व सांसद और अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को रामपुर से उम्मीदवार बनाया। आजम के सहयोगियों ने घोषणा की कि अगर अखिलेश रामपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। इसके बाद सपा ने दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोइबुल्लाह नदवी को रामपुर से मैदान में उतारा। कुछ ही घंटों बाद आजम की पसंद आसिम राजा ने भी सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।

बागपत में अमरपाल शर्मा को मिला टिकट

बागपत में भी सपा ने उम्मीदवार बदला है। यहां पहले मनोज चौधरी को टिकट मिला है। बाद में उनकी जगह अमरपाल शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया। अमरपाल को टिकट देकर सपा ने जाटलैंड में "ब्राह्मण कार्ड" खेलने की कोशिश की है।

गौतमबुद्धनगर में महेंद्र सिंह नागर को मिला टिकट

गौतमबुद्धनगर में सपा ने पहले महेंद्र सिंह नागर को उम्मीदवार बनाया था। चार दिन बाद उनकी जगह राहुल अवाना को टिकट दे दिया गया। 30 मार्च को सपा नेतृत्व ने फिर से नागर को प्रत्याशी घोषित कर मामला शांत कराया।

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बिजनौर से दीपक सैनी उम्मीदवार

बिजनौर सीट पर सपा ने पहले यशवीर सिंह को टिकट दिया था। बाद में उनकी जगह नूरपुर से मौजूदा सपा विधायक राम अवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को मैदान में उतारा गया है।

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