जिस कांग्रेस नेता के चलते सूरत में भाजपा को मिली जीत वह थाम सकते हैं कमल, घर के बाहर लगे गद्दार के नारे

गुजरात के सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। जिस कांग्रेस नेता के चलते उन्हें जीत मिली अब वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस बीच कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उनके घर के सामने जाकर गद्दार के नारे लगाए हैं।

सूरत। लोकसभा चुनाव 2024 में गुजरात के सूरत सीट पर वह हुआ जिसकी उम्मीद बहुत लोगों को नहीं थी। यहां कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का नामांकन प्रस्तावकों की साइन में गड़बड़ी होने के चलते खारिज हो गया। दूसरे दलों के अन्य प्रत्याशी व निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी नाम वापस ले लिया, जिसके चलते भाजपा के मुकेश दलाल को निर्विरोध जीत मिल गई। इस तरह भाजपा ने लोकसभा के 543 में से एक सीट पर रिजल्ट आने से पहले ही जीत दर्ज कर ली।

अब सूत्रों के हवाले से जो बातें सामने आ रहीं हैं उससे साफ हो रहा है कि इस नाटक की कहानी पर्दे के पीछे पहले ही लिखी जा चुकी थी। कांग्रेस ने जिस नीलेश कुंभानी को उम्मीदवार बनाया उसने भाजपा में अपनी सेटिंग कर ली थी। अब खबर आ रही है कि नीलेश कुंभानी जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं में गुस्सा है। उन्होंने नीलेश कुंभानी के घर के बाहर जुटकर गद्दार-गद्दार के नारे लगाए हैं। प्रदर्शनकारियों ने कुंभानी को "देशद्रोही" और "लोकतंत्र का हत्यारा" कहा।

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क्यों खारिज हुआ था कुंभानी का नामांकन फॉर्म

कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद नीलेश कुंभानी ने रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी के सामने नामांकन फॉर्म दाखिल किया था। उन्होंने फॉर्म में तीन प्रस्तावकों से साइन कराए थे। भाजपा ने आरोप लगाया था कि कुंभानी के तीनों प्रस्तावकों से साइन में गड़बड़ी है। इस बीच कांग्रेस ने सुरेश पडसाला से भी नामांकन कराया था ताकि सौरभ पारधी का नामांकन खारिज होने पर वह कांग्रेस उम्मीदवार घोषित किए जा सकें।

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रिटर्निंग ऑफिसर ने साइन की जांच के लिए कुंभानी से तीनों प्रस्तावकों को पेश करने के लिए कहा था। वह एक भी प्रस्तावक पेश नहीं कर सकें। दूसरी ओर गड़बड़ी होने के चलते सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी अमान्य कर दिया गया। इस बीच आठ अन्य उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए, जिससे भाजपा उम्मीदवार को बिना चुनाव लड़े ही जीत मिल गई। सूरत सीट पर लोकसभा चुनाव 7 मई को होना था। अब मतदान कराने की जरूरत नहीं रह गई है।

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