Voter Education: जानें क्या है आदर्श आचार संहिता, राजनीतिक दलों पर लगती है कैसी पाबंदियां, क्या हैं गाइडलाइन?
लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है। इसके साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इसका मकसद चुनाव प्रचार के दौरान गलत तरीकों के इस्तेमाल को रोकना और सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।
Vivek Kumar | Published : Mar 15, 2024 5:35 AM IST / Updated: Mar 16 2024, 06:10 PM IST
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को तारीखों का ऐलान कर दिया गया। इसके साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इसे कौन लागू करता है और इसके नियम क्या हैं आगे पढ़ें सभी जरूरी बातें।
क्या है आदर्श आचार संहिता?
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आदर्श आचार संहिता चुनाव के दौरान लागू होने वाले दिशानिर्देशों और नियमों का समूह है, जिनका पालन सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को करना होता है। इसे चुनाव आयोग द्वारा लागू किया जाता है। इसका मकसद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। जिस दिन चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाता है उसी दिन से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। लोकसभा का चुनाव होने पर यह पूरे देश में लागू होता है। वहीं, विधानसभा का चुनाव हो तो यह सिर्फ उसी राज्य में लागू होता है जहां चुनाव हो रहा है। आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य चुनाव में ऐसे तरीकों का इस्तेमाल रोकना है जो ठीक नहीं है और सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है।
आदर्श आचार संहिता के दिशानिर्देश और नियम
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को ऐसे काम नहीं करना चाहिए जिससे विभिन्न समुदायों या धार्मिक समूहों के बीच तनाव पैदा हो।
अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना नीतियों और कार्यक्रमों पर आधारित होनी चाहिए। व्यक्तिगत हमला नहीं किया जाना चाहिए।
सार्वजनिक सभाएं, रैलियां और जुलूस आयोजित करने के लिए प्रशासन से पहले से इजाजत लेनी होगी।
लाउड स्पीकरों का उपयोग रेगुलेटेड है। इसका उपयोग स्थानीय अधिकारियों द्वारा लगाए गए समय संबंधी प्रतिबंधों के अनुसार होना चाहिए।
जिस इलाके को साइलेंस जोन घोषित किया गया है वहां से जुलूस नहीं निकाल सकते।
मतदान के दिन चुनाव प्रचार नहीं करना है। इस दिन सभी राजनीतिक विज्ञापन और अभियान संबंधी गतिविधियां बैन हैं।
मतदान केंद्र में केवल मतदाताओं, चुनाव एजेंटों और मतदान कर्मचारियों को जाने की अनुमति है।
मतदान केंद्रों के पास घूमने या प्रचार करने की अनुमति नहीं है।
मतदान केंद्रों में किस प्रकार चुनाव प्रक्रिया चल रही है इसपर नजर रखने के लिए राजनीतिक दल अपने एजेंटों को नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन उन्हें चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
जिस पार्टी की सरकार है उसे चुनाव प्रचार अभियान के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
मंत्रियों से अपेक्षा की जाती है कि वे आधिकारिक दौरों को चुनाव कार्य के साथ न जोड़ें। वे चुनाव कार्य के लिए आधिकारिक मशीनरी का इस्तेमाल नहीं करें।
अगर किसी नेता और पार्टी ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया तो चुनाव आयोग द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान सरकार क्या नहीं कर सकती?
सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने वाली नई परियोजनाओं, योजनाओं या नीतियों की घोषणा नहीं करनी चाहिए।
जो योजनाएं और परियोजनाएं चल रहीं हैं उनका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
अधिकारियों और कर्मचारियों सहित सरकारी मशीनरी का उपयोग किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के फायदे के लिए नहीं होना चाहिए।
कोई उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए कितनी गाड़ियों का इस्तेमाल करता है इसकी सीमा नहीं है, लेकिन इस्तेमाल की जाने वाली सभी गाड़ियों की जानकारी डीईओ को देनी होगी ताकि इसपर हो रहे खर्च की जांच की जा सके।
आदर्श आचार संहिता लागू करने के दौरान सरकार को बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग से बचना चाहिए। अगर ऐसा करना बेहद जरूरी है तो इसके लिए चुनाव आयोग से पहले इजाजत लेनी होगी।