Interview: कृषि कानून से अग्निपथ स्कीम और राहुल गांधी की ED से पूछताछ तक...ओम बिरला ने बहुत कुछ कहा

मानसून सत्र 2022 की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। नई सैन्य भर्ती योजना अग्निपथ को लेकर भी इस बार मानसून सत्र काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। वहीं, इसी सत्र में राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है। लोकसभा की कार्य व्यवस्था, तीन साल की उपलब्धियों को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से एशियानेट न्यूज ने विस्तार से बातचीत की है।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 20, 2022 7:45 PM IST / Updated: Jun 21 2022, 12:52 PM IST

नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा का तीन साल पूरा होने वाला है। इस बार लोकसभा कई मायनों में विशेष है। इन तीन सालों में तमाम बिल व विधेयक पास किए गए। कई पर हंगामा भी खड़ा हुआ। बता दें, मानसून सत्र 2022 की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। नई सैन्य भर्ती योजना अग्निपथ को लेकर भी इस बार मानसून सत्र काफी हंगामेदार हो सकता है। इसी सत्र में राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है। लोकसभा की कार्य व्यवस्था, तीन साल की उपलब्धियों को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से Asianet News ने बहुत विस्तार से बातचीत की है। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश...

सवाल - लोकसभा की कार्यप्रणाली में बीते तीन सालों में क्या-क्या बदलाव देखने को मिले?

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- 16वीं लोकसभा तक के अध्यक्षों ने संसदीय कामकाज में, कार्यव्यवस्था में व्यापक बदलाव किए। उसी को आगे बढ़ाते हुए हमने यह प्रयास किया कि 17वीं लोकसभा में सदन में अधिक से अधिक संसद सदस्यों की उपस्थिति हो, ज्यादा भागीदारी हो। हमारे कामकाज में व्यापकता आए, संवाद, चर्चा, डिबेट में हमारी ज्यादा सहभागिता हो। ज्यादा देर तक बैठकर हमने सदन के माध्यम से देशहित में अधिक से अधिक काम किया। संसदीय लोकतंत्र की इस यात्रा में देश की संसद ने कई बदलाव देखे। संसद ने अपनी इस यात्रा में तमाम कानून बनाएं जो देश की जनता के कल्याण के लिए है। 

सवाल - सदन में हंगामा होने पर कई बार आपकी नाराजगी देखने को मिलती है। इस तरह के कार्यव्यवहार से आप कितना संतुष्ट हैं?

''सदन के अंदर गतिरोध, हंगामा करना, बेल के अंदर पहुंचना, नारेबाजी करना, तख्तियां लहराना संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है। मेरा प्रयास रहता है कि सभी दलों के माननीय सदस्यों को संसदीय मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। संसद के अंदर या राज्यों के सदनों में संसदीय गरिमा व मर्यादा बनीं रहे, यह सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है। समय-समय पर पीठासीन सम्मेलन में भी इस तरह का मंथन होता है कि इन सदनों के अंदर किस तरह से उच्च कोटि का संवाद हो, बहस हो। कानून बनाते समय तथ्यात्मक तर्कों के साथ सकारात्मक सुझाव के साथ सब अपनी बातों को रखें। लेकिन इसके काम में गतिरोध न हो। यह सदन देश की जनता के लिए है। उनके कल्याण के लिए है। गतिरोध ना हो, इसके लिए माननीय सदस्यों को लगातार बताता रहता हूं, समझाता रहता हूं।'' 

सवाल - 17वीं लोकसभा में देखा जा रहा है कि युवा नेताओं को सदन में बोलने और डिबेट में भाग लेने के लिए ज्यादा मौका दिया जा रहा?

''मैंने कोशिश की कि 17वीं लोकसभा में युवा सांसद या जो पहली बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं, उनको पर्याप्त बोलने या अपनी बात कहने का मौका मिले। इससे अधिक से अधिक माननीय सदस्य सदन में भाग ले रहे हैं। रात-रात भर सदन कई बार चला और कई महत्वपूर्ण विधेयक पास किया गया। इस बार एक महत्वपूर्ण बात यह कि सबसे अधिक माननीय सदस्य के रूप में महिलाओं की भी भागीदारी रही है। एक दिन शून्यकाल के दौरान ऐसा रहा कि केवल महिला सदस्यों ने ही अपनी बात रखी। यह एक सकारात्मक पहल है।''

सवाल - सदन में बिना चर्चा कई बिल पास करा लिए जा रहे हैं, इसको लेकर काफी आलोचना भी हो रही है, क्या कहेंगे?

''मैंने कोशिश की कि जो विधेयक सरकार लाती है उस पर अधिक से अधिक चर्चा हो। जितने भी महत्वपूर्ण विधेयक सरकार लेकर आई, उन पर ज्यादा देर तक चर्चा हुई। ज्यादा माननीय सदस्यों ने इसमें भाग लेकर सक्रिय रूप से भागीदारी दी। कई विधेयक स्टैंडिंग कमेटी में भेजे। कई विधेयक को जल्दी पास कराने के लिए जनहित में पास कराए। कानून देश की जनता के लिए बनता है। कुछ ऐसे विधेयक रहे जिन पर चर्चा नहीं हुई, मैंने माननीय सदस्यों से इसपर चर्चा का आग्रह किया। मैं आपके माध्यम से भी माननीय सदस्यों से अपील करुंगा कि वह अधिक से अधिक चर्चा में भाग लें। बेहतर कानून के लिए सकारात्मक सुझाव दें।''

सवाल - लोकसभा में कई ऐतिहासिक बिल पास हुए। जैसे आर्टिकल 370 के संशोधन के लिए बिल लाया गया। आपके लिए उसको पास कराना कितना बड़ा चैलेंज था ?

''ऐसा कोई बड़ा चैलेंज नहीं था। हर विधेयक जब सरकार सदन में पेश करती है तो मेरी कोशिश रहती है उस पर एक व्यापक चर्चा हो। जिस बिल को आप बता रहे हैं, उस पर भी विशेष रूप से देर रात तक चर्चा हुई। इस पर तय समय से दोगुना समय चर्चा हुई। जितने भी माननीय सदस्य अपनी बात रखना चाहते थे या चर्चा में भाग लेना चाहते थे, उनको पर्याप्त अवसर दिया गया। सहमति, असहमति हमारे लोकतंत्र की खूबी है। अंतिम में वोट के आधार पर बिल पारित हुआ। जनता ने जिनको बहुमत दिया था, उन्होंने बिल को पास कराया। लेकिन मेरी कोशिश हमेशा रही कि सकारात्मक चर्चा हर बार हो।''

सवाल - ...लेकिन कृषि कानून बिल को किसान आंदोलन के बाद वापस लेना पड़ा। क्या आप सोचते हैं लोकसभा के लिए यह एक सेटबैक है क्योंकि यहीं सबसे पहले बिल पास हुए थे?

''जब किसान बिल पर कानून बन रहा था, उस समय भी चर्चा के लिए चार घंटे आवंटित थे। साढ़े पांच घंटे चर्चा हुई। सभी दलों ने चर्चा में भाग लिया। कई ने सहमति तो कई ने असहमति व्यक्त की। कुछ ने बदलाव की बात कही। लेकिन जब सरकार ने बिल वापस लिया तो कई दलों की मांग थी कि चर्चा हो। इस पर सहमति नहीं बनी और चर्चा नहीं हो सकी। बिल वापस लेने के लिए संसदीय कमेटी ने निर्णय लिया था।''

सवाल - क्या बिल पास होना एक गलती थी, क्योंकि लोगों में इसको लेकर विरोध था?

''इस देश में लोकतंत्र है। लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। सरकार जब कोई बदलाव करती है या कानून बनाती है तो उसकी मंशा होती है किस तरह से किस वर्ग या लोगों का कल्याण किया जा सके। सरकार का उस समय मानना था कि बिल किसानों के हित में है लेकिन किसानों का मानना था कि इसमें संशोधन होना चाहिए। इसलिए सरकार ने किसानों की बात मानी और बिल को वापस ले लिया।''

सवाल - अभी सरकार ने अग्निपथ योजना की घोषणा की है। विपक्ष की मांग है कि संसद में इस पर चर्चा होनी चाहिए, क्या सदन में चर्चा होगी?

''कोई भी सरकार अगर कोई योजना लाती है तो उसपर चर्चा की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर सरकार कोई कानून लाती है या विधेयक लाती है तो उस पर चर्चा होती है। या विधेयक के तहत कोई योजना लाएंगे तो चर्चा होगी। कौन-कौन से मुद्दों पर चर्चा होनी है, वह एक एडवाइजरी कमेटी तय करती है। यह कमेटी जिन मुद्दों पर चर्चा के लिए सहमति बनाती है, उसी पर चर्चा कराई जाती है। भविष्य में क्या तय होगा, इस पर अभी कुछ कहना सही नहीं है। एक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में तो यह कदापि नहीं कह सकता।'' 

सवाल - आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। नई संसद बन रही है। कबतक नई संसद में कार्यवाही शुरू होने की संभावना है?

''देश की जनता की जिज्ञासा है आत्मनिर्भर भारत का संसद कब बनकर तैयार होगा। माननीय प्रधानमंत्री ने जब संसद भवन का शिलान्यास किया था तो तय किया था कि दो साल लगेगा। 2022 में दो साल होने को है। लेकिन अभी काम चल रहा है। लेकिन जब इस बार संसद का शीतकालीन सत्र होगा तो हमारा प्रयास होगा कि नई भवन में इस सत्र की कार्यवाही हो। नई संसद हमारे देश की 130 करोड़ की आकांक्षा का केंद्र है।'' 

सवाल - नई संसद बनने के बाद पुरानी संसद भवन का क्या होगा?

''यह हमारा ऐतिहासिक भवन है। लोकतंत्र का मंदिर है यह। यहां हमारे देश के कई ऐतिहासिक निर्णय हुए हैं। कई ऐतिहासिक बिल पास हुए हैं। यह भवन भी हमारे संसद का हिस्सा है। आजादी पाने के बाद हमने इस भवन में सत्ता का हस्तांतरण किया है। 75 साल से लोकतंत्र के बदलावों का यह गवाह रहा है।''   

सवाल - कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल आपसे मिला था और हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं को लेकर आपसे बात किया, इस पर आपका क्या कहना?

''कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मिला था। संसद सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त है। कांग्रेस के सदस्यगण ने जो भी शिकायत की या लिखित कुछ कहा तो उस पर नियम-कानून के तहत उचित प्रक्रिया अपनाई जाएगी और विशेषाधिकारी कमेटी जांच कर यथोचित कार्रवाई भी करेगी। विशेषाधिकार कमेटी होती है, जिसमें सभी दलों के सदस्य होते हैं। वह उन मसलों पर बैठकर नियम-प्रक्रियाओं के तहत अपना निर्णय लेगी।'' 

सवाल - हमने देखा दिल्ली में हुए प्रदर्शन में कांग्रेस सांसदों के साथ पुलिस बल का प्रयोग कर रही है। क्या आप इस पर पुलिस से कोई रिपोर्ट मांगेंगे?

''मैंने कहा संसद में विशेषाधिकार कमेटी होती है। जो भी विशेषाधिकार हनन की शिकायत या नोटिस आती है तो वह उसे देखती है। बाकी कानून सबके लिए समान है। कानून के लिए किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है।''

सवाल - राहुल गांधी से ईडी पूछताछ कर रही है। क्या एजेंसी ने इस पूछताछ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को सूचना दी है?

''कानून सबके लिए बराबर है। कोई भी जांच एजेंसी किसी भी माननीय सदस्य, मंत्री या किसी को बुलाकर कर जांच या चर्चा कर सकती है। उसके लिए किसी स्पीकर को सूचना देना या इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है।'' 

सवाल - महिला सदस्यों के बारे में आप बोले लेकिन महिला विधेयक अभी तक पास नहीं हो सका जबकि मुख्य दल इसके सपोर्ट में हैं। क्या गतिरोध है?

''किसी भी विधेयक को सरकार लाती है और सरकार उस पर चर्चा कराती है। पिछली बार जब इस बिल को लेकर सरकार आई थी तो अलग-अलग दलों ने अलग-अलग राय व्यक्त किए थे। लेकिन सहमति नहीं बन पाई थी। भविष्य में जब यह विधेयक पेश होगा तो सरकार इसे पास कराने की दिशा में काम करेगी।''

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