लोकसभा की कार्यवाही गुरूवार 11 बजे तक स्थगित: स्पीकर की कुर्सी पर क्यों नहीं बैठे ओम बिरला-किसने किया सदन का संचालन?

लोकसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर तो हंगामा चल ही रहा था, अब दिल्ली आर्डिनेंस बिल को लेकर भी हंगामा होने लगा है। हालात यह कि कार्यवाही चल ही नहीं पा रही है। इससे लोकसभा अध्यक्ष नाराज हो गए हैं।

Manoj Kumar | Published : Aug 2, 2023 11:43 AM IST / Updated: Aug 23 2023, 05:49 PM IST

Loksabha President Om Birla. लोकसभा में लगातार हंगामे की वजह से स्पीकर ओम बिरला नाराज हो गए हैं और उन्होंने कहा कि ऐसे ही हालत बने रहे तो लोकसभा में नहीं आएंगे। बुधवार को वे लोकसभा पहुंचे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठे। बुधवार को सदन के भीतर दिल्ली आर्डिनें बिल को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ जिससे वे काफी नाराज हो गए और कहा कि जब तक विपक्ष के लोग नारेबाजी बंद नहीं करते हैं, तब तक वे अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। ओम बिरला के इंकार के बाद आंध्र प्रदेश के सांसद पीवी मिधुन रेड्डी ने लोकसभा की कार्यवाही संचालित की।

स्पीकर ओम बिरला ने क्यों जताई नाराजगी

विपक्षी सांसदों की लगातार नारेबाजी पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि सदस्यों का व्यवहार सदन की गरिमा के अनुरूप ने हीं है। कुछ सदस्यों का व्यवहार तो बेहद अनुचित है। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही को गुरूवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। बीजेपी ने व्हिप जारी कर आर्डिनेंस को पास कराने की पूरी तैयारी की थी लेकिन विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

राज्यसभा में भी हंगामा जारी

दूसरी तरफ राज्यसभा में भी विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा को लेकर लगातार हंगामा करते रहे और कुल 60 नोटिस विपक्ष की तरफ से दिए गए। सांसदों ने प्रेसीडेंट से भी मुलाकात की है। वहीं उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि पीएम को सदन में आने के लिए नोटिस नहीं दिया जा सकता है। राज्यसभा से भी विपक्षी सांसदों ने फिर वॉकआउट किया और प्रेसीडेंट से मिलकर मणिपुर मामले में बहस की मांग की है।

क्या है दिल्ली आर्डिनेंस बिल

दिल्ली आर्डिनेंस बिल 2021 में संशोधन किया गया जिसके तहत दिल्ली राज्य सरकार किसी भी ट्रांसफर पोस्टिंग पर उप राज्यपाल से राय लेंगे। केजरीवाल सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने एलजी की राय लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया। इसके बाद नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट में बदलाव किया गया। इसके तहत एलजी को ऑफिसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि में अधिकार दिया गया है। केंद्र का मत है कि दिल्ली का प्रशासन कैसा हो इस पर देश की नजर रहती है। ऐसे में व्यापक देशहित में जरूरी है कि दिल्ली का प्रशासन चुनी हुई केंद्र सरकार के जरिए होना चाहिए। केंद्र सरकार दिल्ली के मामले में तय करेगी कि ऑफिसर का कार्यकाल क्या हो, सैलरी, ग्रेच्युटी, पीएफ आदि भी तय करेगी। साथ ही ट्रांसफर-पोस्टिंग का भी अधिकार केंद्र के पास होगा। केजरीवाल सहित सभी विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं।

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