भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष थाईलैंड से लाया गया वापस

Published : Mar 19, 2024, 11:54 PM ISTUpdated : Mar 20, 2024, 12:02 AM IST
Lord Buddha relics

सार

भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष भारत में संरक्षित हैं। इन पवित्र अवशेषों को थाईलैंड भेजा गया था। वहां अवशेष की 26 दिवसीय प्रदर्शनी थी।

Lord Buddha holy relics: भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष वापस भारत आ चुके हैं। भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष भारत में संरक्षित हैं। इन पवित्र अवशेषों को थाईलैंड भेजा गया था। वहां अवशेष की 26 दिवसीय प्रदर्शनी थी। प्रदर्शनी के बाद सम्मानपूर्वक उसे वापस भारत लाया गया। यहां दिल्ली में वायुसेना के पालम एयरपोर्ट पर अवशेष पहुंचे। केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी सहित कई सीनियर ऑफिसर इसके लिए पहले से मौजूद रहे।

बैंकॉक में 23 फरवरी को पूजा के लिए स्थापित

भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत और अरहत मौदगलायन के अवशेष को 23 फरवरी को बैंकॉक के सनम लुआंग मंडप में विशेष रूप से निर्मित मंडप में पूजा के लिए स्थापित किया गया था। इन पवित्र अवशेषों को कुम लुआंग, रॉयल रुजाप्रुक, चियांग माई, वाट महावानाराम, उबोन रतचथानी, वाट महा थाट, औलुएक और क्राबी में प्रदर्शित किया गया था। बैंकॉक के प्रमुख प्रदर्शनी पार्क में विशेष पूजा का उद्घाटन थाईलैंड के राजा वजिलोंगकोर्न और उनकी पत्नी ने भव्यता और आध्यात्मिकता के साथ किया। इस स्पेशल आयोजन के दौरान राजा के 72वें जन्मदिन का जश्न भी मनाया गया था।

इंटरनेशनल बौद्ध कौंसिल ने कहा कि यह साझा आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक संबंध की भावना को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य के साथ संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और आईबीसी के बीच एक सहकारी पहल थी।

बिहार के राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री का डेलीगेशन लेकर थाईलैंड गया था अवशेष

भगवान बुद्ध और उनके शिष्य अरहत सारिपुत और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष को थाईलैंड बीते फरवरी में एक डेलीगेशन लेकर गया था। इस डेलीगेशन की अगुवाई बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने किया था। इस डेलीगेशन में कई आध्यात्मिक गुरु और राजनेता व गणमान्य शामिल थे। डेलीगेशन ने पूरे सम्मान के साथ थाईलैंड में प्रदर्शनी आयोजन समिति को पवित्र अवशेषों को सौंपा था।

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