माता-पिता के नक्शे कदम पर चलेंगी लुबना शाहीन, मृत्यु के बाद पूरा करेंगी शरीर-दान का संकल्प

असम की रहने वाली लुबना शाहीन अपने माता-पिता की तरह ही मौत के बाद अपना शरीर रिसर्च के लिए दान करेंगी। जानकारी के लिए बता दें कि लुबना के माता-पिता देश के पहले मुस्लिम दंपति रहे जिन्होंने मृत्यु के बाद अपना शरीर अनुसंधान के लिए दिया था।

Lubna Shaheen. असम के आफताब अहमद और मुस्फिका सुल्ताना प्रगतिशील मुस्लिमों के आदर्श उदाहरण थे। वे देश के पहले मुस्लिम दंपति थे जिन्होंने मौत के बाद रिसर्च के लिए अपना शरीर दान दिया था। मुस्लिम समुदाय की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है। अब उनकी बेटी लुबना शाहीन भी माता-पिता के नक्शे कदम पर चलने का फैसला किया है। उन्होंने यह संकल्प लिया है कि अपने माता-पिता की ही तरह वे भी रिसर्च वर्क के लिए अपने शरीर का दान करेंगी।

क्या कहती हैं लुबना शाहीन

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आवाज-द वॉयस असम से बात करते हुए लुबना शाहीन ने कहा कि वह बहुत भाग्यशाली रही हैं कि उनका पालन-पोषण प्रगतिशील मुस्लिम परिवार में हुआ। जहां उनकी बहन और उनको हर चीज पर सवाल उठाना सिखाया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो धार्मिक कट्टरवाद और न ही धार्मिक हठधर्मिता की प्रैक्टिस की है। हमारी संस्कृति को इस्लाम द्वारा कुछ तरीकों से परिभाषित किया गया है। लुबना ने कहा कि मेरे माता-पिता दोनों अपने तरीकों से लोगों की सेवा करते रहे। मृत्यु के बाद अपने शरीर और आंखों को दान करने का उनका निर्णय जीवन के प्रति इसी दृष्टिकोण से पैदा हुआ। अगर वे दोनों कैंसर के मरीज नहीं होते तो उनके अंगों ने कई लोगों को जीवन दिया होता। लेकिन उन्होंने उस परिस्थिति में भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।

माता-पिता से ही मिली है प्रेरणा

लुबना ने कहा कि जब मैं कॉलेज में थी तो रक्तदान शिविर के लिए साइन अप किया। जब मैंने अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया तो उन्होंने मुझे इसे फिर से करने के लिए प्रोत्साहित किया। भले ही मैंने अभी तक आधिकारिक तौर पर अंग या शरीर दान के लिए साइन अप नहीं किया है लेकिन मैं इसे जल्द ही करने की योजना बना रही हूं। कहा कि मुस्लिम समुदाय से होने के कारण चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए वे और उनकी बड़ी बहन निनॉन शहनाज को माता पिता का शव असम मेडिकल कॉलेज को सौंपना आसान नहीं था। बताया कि जिस दिन हमारे पिता के शव को अस्पताल ले जाया जा रहा था, हमारे पास के लोगों ने शव को दफनाने का दबाव बनाया। मेरे पिता ने इस प्रतिरोध को पहले ही भांप लिया था और अपने फैसले के लिए उन्होंने वसीयत छोड़ी थी। हालांकि बहुत जद्दोजहद के बाद में हमें कामयाबी मिली।

लुबना ने कहा जीवन बचाना अनमोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देशवासियों से अनमोल जीवन बचाने के लिए अंग दान करने की अपील की है। उस पर लुबना शाहीन ने कहा कि इस समय मुझे लगता है कि केवल शब्दों को बताना महत्वपूर्ण है और देश भर में अपनी व्यापक पहुंच के साथ पीएम मोदी इसे आगे बढ़ा रहे हैं। यह बहुत अच्छी बात है। उम्मीद है कि एक दशक या उससे अधिक समय में यह सामाजिक रूप से स्वीकृत कर लिया जाएगा।

साभार- आवाज द वॉयस

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