भोपाल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ‘मुर्दा क़ौम’ मुश्किलों से बचती है और तुरंत दबाव में आकर झुक जाती है, जबकि ‘ज़िंदा क़ौम’ हौसला बनाए रखती है और हालात का सामने से मुकाबला करती है। उन्होंने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर लोगों को ‘वंदे मातरम’ पढ़ने को कहा जाए और वे तुरंत मान जाएँ, तो यह कमजोर मानसिकता का संकेत हो सकता है। मदनी के बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और विभिन्न प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं।