भोपाल: भाजपा कार्यालय के सामने कांग्रेसी कार्यकर्ता का विरोध प्रदर्शन, झड़प हुई तो हिरासत में लिए गए

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग के बीच कांग्रेसी कार्यकर्ता भोपाल में भाजपा कार्यालय के सामने पहुंच गए। वह कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तभी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी झड़प हो गई। 

भोपाल. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग के बीच कांग्रेसी कार्यकर्ता भोपाल में भाजपा कार्यालय के सामने पहुंच गए। वह कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तभी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी झड़प हो गई। कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर चप्पल तक फेंकी। कुछ देर बाद वहां पुलिस पहुंची और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।

दिग्विजय सिंह को बेंगलुरु को हिरासत में लिया गया

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बुधवार की सुबह दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचे। जहां उन्होंने विधायकों से मिलने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने मिलने की इजाजत नहीं दी। जिसके बाद वह धरने पर बैठ गए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की याचिका पर दोपहर बाद सुनवाई होगी। बताया जा रहा कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से जवाब देने के लिए और समय मांगा गया है। जिसके बाद इस केस की सुनवाई दोपहर के बाद करने का निर्णय लिया गया है। 

कोर्ट में दलीलः  हम 16 विधायकों को आपके सामने पेश कर सकते हैंः मुकुल रोहतगी

- कांग्रेस की ओर से पेश दुष्यंद दवे ने कोर्ट में ऐतराज जताया और कहा कि हम 45 मिनट इंतजार कर चुके हैं। कोरोना वायरस के मद्देनजर इस तरह से कोर्ट में बैठे रहना सुरक्षित नहीं है। दुष्यंत दवे ने आगे कहा- आज सुनवाई नहीं हुई तो आसमान नहीं गिर जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई है और अब उनके विधायकों को बंधक बना लिया गया है।

-मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि हम सभी 16 विधायकों को जजों के चैंबर में पेश करने को तैयार हैं। हालांकि कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।

-बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी ने दलील दी, 'अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह कर वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है।'

-मध्य प्रदेश के सियासी ड्रामे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते। यह देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहें करें। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें।

-जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उन्होंने सरकार बनाई तो उनके पास 114+7 का आंकड़ा था, लेकिन अब आप 108+7 की बात कर रहे हैं। क्या आपकी सरकार ने 16 विधायकों के आधार पर बहुमत खोया है, सवाल है कि अभी इस्तीफे हुए हैं?

बागी विधायकों ने कहा- न आने दे कांग्रेसियों को 

बेंगलुरु में ठहरे मध्यप्रदेश कांग्रेस के 22 भागी विधायकों ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि 'किसी भी कांग्रेसी नेता/सदस्य को उनसे मिलने की अनुमति न दी जाए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनके जीवन और सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।

कांग्रेस के वकील ने कहा- आप अपने आप को बड़ा वकील बता रहे हैं

अदालत में कांग्रेस के वकील की ओर से दलील दी गई है कि अभी दुनिया मानवता के सबसे बड़े संकट कोरोना से जूझ रही है, ऐसे में क्या इस वक्त बहुमत परीक्षण कराना जरूरी है? वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट में कांग्रेस और भाजपा के वकील आमने-सामने आ गए। बीजेपी की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी के कोर्ट को इंतजार कराने पर कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि आप अदालत को 50 मिनट इंतजार करवा रहे हैं और बीच में आकर टोक भी रहे हैं। फिर आप अपने आप को देश का बड़ा वकील बता रहे हैं। 

बेंगलुरु में दिग्विजय का सत्याग्रह 

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस्तीफा दे चुके विधायकों से मिलने के लिए दिग्विजय सिंह बेंगलुरु के रामदा होटल पहुंचे। जहां पुलिस ने दिग्विजय सिंह को होटल में जाने से रोक दिया। जिसके बाद दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। बावजूद इसके दिग्विजय सिंह मिलने की मांग पर अड़े थे। जिसके बाद पुलिस ने दिग्विजय सिंह, सचिन यादव, कांतिलाल भूरिया, डी शिवकुमार समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इससे पहले दिग्विजय सिंह ने कहा, 'वो लोग मुझसे बात करना चाहते हैं। उनके फोन छिन लिए गए हैं। पुलिस वाले उनसे बात भी नहीं करने दे रहे हैं मैं गांधीवादी आदमी हूं। मेरे पास ना ही बम है और ना ही पिस्टल है। आप मुझे अकेले ले जाकर मिलवा दे मुझे संतुष्टी हो जाएगी तो मैं खुद वापस आ जाऊंगा।'

 

जीतू पटवारी के बाद अब दिग्विजय सिंह खुद पहुंचे 

कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने बागी विधायकों को मनाने की लगातार कोशिश की जा रही है। दिग्विजय सिंह, सचिन यादव, कांतिलाल भूरिया समेत अन्य नेता बेंगलुरु पहुंचे। हालांकि इससे पहले 12 मार्च को कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी भी बेंगलुरु अपने साथी विधायकों को मनाने पहुंचे। इस दौरान पुलिस से पटवारी की झड़प भी हुई थी। हालांकि जीतू पटवारी बागी विधायकों से मिलने में नाकाम रहे थे।  

भाजपा के बाद कांग्रेस और अब बागी विधायक भी सुप्रीम कोर्ट में  

भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सदन में बहुमत परीक्षण ना हो पाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया था। जिस पर मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई, लेकिन स्पीकर, राज्य सरकार और बागी विधायकों को नोटिस जरूर दे दिया। इस मामले को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच सुनवाई करेगी। बीजेपी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी के बागी विधायक भी भाजपा की याचिका में अपना नाम शामिल कर लिया। 

विधायकों ने कमलनाथ पर लगाए थे समय न देने का आरोप 

बेंगलुरु के होटल में ठहरे 22 विधायकों ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर साफ कर दिया कि वह बंधक नहीं बनाए गए हैं। वह अपनी मर्जी से होटल में ठहरे हुए हैं। साथ ही विधायकों ने सीएम कमलनाथ पर आरोप लगाया कि वह अपने मंत्री और विधायकों की बात नहीं सुनते हैं। चुनाव के दौरान वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। 

9 मार्च से होटल में ठहरे हैं विधायक 

कांग्रेस पार्टी से बगावत के बाद मध्यप्रदेश के 22 विधायक बेंगलुरु के रामदा होटल में ठहरे हुए हैं। विधायकों ने कमलनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए 10 मार्च को अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है। स्पीकर ने 6 विधायकों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद से ही मध्यप्रेदश की कमलनाथ सरकार संकट में घिरी हुई है। 
 

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