महाराष्ट्र की राजनीति इस समय जिस दौर से गुजर रही है, ऐसा नजारा बहुत कम देखने को मिलता है। हालांकि ऐसी स्थिति के लिए कुछ राजनैतिक टिप्पणियां भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।
मुंबई. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एमवीए सरकार किसी भी समय गिर सकती है और नई सरकार का अस्तित्व सामने आ सकता है। इसका कारण है कि सत्तारूढ़ शिवसेना के 3 दर्जन से विधायकों ने बगावत कर दी है और वे मुंबई से दूर गुवाहाटी के एक होटल में ठहरे हुए हैं। बागी दल के नेता एकनाथ शिंदे के बारे में कहा जा रहा है कि वे 2 दिनों में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि महाराष्ट्र के राजनैतिक संकट में कई नेताओं को ऐसे बयान सामने आए जिसके बाद हालात सुधरने की बजाय बिगड़ते गए। आइए जानते हैं ऐसे ही 10 बयानों के बारे में जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है...
1. विधायकों की मौत का बयान
शिवसेना नेता संजय राउत ने एक ऐसा बयान दिया है जिसे सुनकर कोई भी चौंक सकता है। संजय राउत ने कहा कि 'अब से हमें तय करना है कि किस पर भरोसा करें और किसकी पालकी ले जाएं। इन 40 विधायकों के शव यहां आएंगे। उन्हें सीधे पोस्टमॉर्टम के लिए मुर्दाघर भेजा जाएगा।' संजय राउत के इस बयान ने राजनीतिक शुचिता पर भी सवाल उठा दिए हैं।
2. बागी विधायक देशद्रोही हैं
शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने यह कहकर हलचल मचा दी कि जिन विधायकों ने बगावत की है, वे देशद्रोही हैं। आदित्य ठाकरे ने बागियों को नसीहत देते हुए कहा कि जो आना चाहते हैं, उनके लिए शिवसेना के दरवाजे खुले हैं लेकिन बागी विधायक जो देशद्रोही हैं, उन्हें कभी पार्टी में वापस नहीं लिया जाएगा।
3. बाप के नाम पर बनाओ पार्टी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वैसे तो काफी संयमित होकर बयान देते हैं लेकिन हालिया संकट ने उन्हें भी झकझोर दिया है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि किसी को भी बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल करने नहीं दिया जाएगा। जिसको वोट मांगना है, वे अपने बाप के नाम पर वोट मांगे।
4. बाप वाले बयान को संजय राउत ने बनाया तीखा
महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे ने यह बात संयत भाषा में कही लेकिन संजय राउत सीधे बाप पर उतर आए। उन्होंने कहा कि बागियों के सैकड़ों बाप हैं, कोई दिल्ली में, कोई वडोदरा में, कोई गुवाहाटी में, कोई मुंबई में बैठा है। हमारे तो सिर्फ एक ही बाप हैं बालासाहेब ठाकरे। किसी को यदि पार्टी बनानी है तो वह हमारे बाप यानी बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल न करे बल्कि अपने बाप के नाम पर वोट मांगे।
5. एकनाथ शिंदे ने की गंभीरता से बात
महाराष्ट्र के ताजा राजनैतिक संकट पर भले ही शिवसेना आक्रामक हो गई लेकिन बागी नेता एकनाथ शिंदे लगातार संयम दिखाया है। उन्होंने बार-बार यह कहा कि वे धोखेबाज नहीं हैं बल्कि शिवसेना को बचाने के लिए बगावत की है। उनकी बात भले ही राजनैतिक फायदे के लिए हो लेकिन उन्होंने कभी शिवसेना या उद्धव ठाकरे पर कड़ी बात नहीं कही है।
6. शरद पवार ने दिये कई बयान
महाराष्ट्र में जब राजनैतिक संकट गहराया तो एनसीपी प्रमुख ने पहले यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की, कि यह शिवसेना का आंतरिक मामला है। उन्होंने इसकी बीजेपी को मामले का जिम्मेदार बताया और कहा कि महाराष्ट्र की एमवीए सरकार को ढाई साल से गिराने की कोशिश की जा रही है। पवार रविवार को दिल्ली पहुंचे तब भी यही कहा कि उनका समर्थन उद्धव ठाकरे के साथ है। हालांकि राजनीति के जानकार यह कहने से नहीं चूक रहे कि इस आपदा में भी शरद पवार कहीं कोई अवसर न तलाश लें।
7. बीजेपी ने चुप्पी से दिए बड़े संकेत
महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम के पीछे भारतीय जनता पार्टी का समर्थन है, इसे ज्यादातर लोग सच मानते हैं लेकिन पार्टी की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नही आया है। माना जा रहा है कि भाजपा की यही रणनीति शिवसेना की बौखलाहट का कारण बन रही है। भाजपा के महाराष्ट्र के नेताओं ने इस विषय पर सिर्फ इतना कहा कि ने राजनैतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं।
8. नवनीत राणा भी कूदीं मैदान में
निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और एमवीए सरकार के बीच के झगड़े को सभी जानते हैं। हनुमान चालीसा विवाद पर नवनीत राणा को किस तरह से हिरासत में रखा गया, यह सभी ने देखा है। जब महाराष्ट्र में बगावत हुई तो नवनीत राणा पहली नेता थीं जिन्होंने खुलकर बयान दिया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए। हालांकि उनके इस बयान पर शिवसेना व एनसीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
9. कांग्रेस नेता रहे बीजेपी पर हमलावर
महाराष्ट्र की एमवीए सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी इस पूरे घटनाक्रम के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार मानती है। कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत व भूपेश बघेल ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दोनों नेता इस घटनाक्रम के बाद से ही बीजेपी को षणयंत्रकारी करार दे रहे हैं। वहीं बीच में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मुंबई पहुंचे और बीजेपी पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। कांग्रेस के नेता अपना समर्थन तो एमवीए सरकार को दे रहे हैं लेकिन भाजपा को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।
10. कोरोना से ठीक होते ही राज्यपाल का बयान
रविवार को कोरोना से राहत मिलने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को हास्पिटल से छुट्टी मिल गई। रविवार को ताजा घटनाक्रम से उपजे हालात पर फैसला लेते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने राज्य के डीजीपी और मुंबई के सीपी को पत्र लिखकर बागी विधायकों की सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी।
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