Maharashtra MVA Crisis: बागी शिंदे ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर हिंदुत्व और राम मंदिर के मुद्दे पर दागे सवाल

महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घमासान (Maharashtra MVA Crisis) के बीच शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर कई सवाल उठाए हैं। इसमें हिंदुत्व से पीछ हटने के अलावा उनके अपमान बात भी कही है। एकनाथ शिंदे ने चिट्ठी में पूछा कि जब हिंदुत्व और राम मंदिर पार्टी के लिए अहम मुद्दे हैं, तो पार्टी ने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका?
 

Amitabh Budholiya | Published : Jun 23, 2022 7:53 AM IST / Updated: Jun 23 2022, 01:36 PM IST

मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास वर्षा छोड़कर मातोश्री चले जाने और इमोशनल कार्ड के बावजूद बागी एकनाथ शिंदे के तेवर कम नहीं हुए हैं। महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घमासान (Maharashtra MVA Crisis) के बीच शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर कई सवाल उठाए हैं। इसमें हिंदुत्व से पीछ हटने के अलावा उनके अपमान बात भी कही है। एकनाथ शिंदे ने चिट्ठी में पूछा कि जब हिंदुत्व और राम मंदिर पार्टी के लिए अहम मुद्दे हैं, तो पार्टी ने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका? बता दें कि एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से भाजपा के साथ संबंध फिर से जोड़ने और कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन तोड़ने के लिए कहा था। साथ ही यह भी कहा था कि वे  बालासाहेब के हिंदुत्व को आगे ले जाएंगे।

एकनाथ शिंदे ने जारी की चिट्ठी
बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने एक चिट्ठी जारी की है। इसमें उद्धव ठाकरे पर कई आरोप लगाए हैं। चिट्ठी में कहा गया कि आदित्य ठाकरे को आपने अयोध्या क्यों भेजा? वर्षा बंगले पर सिर्फ कांग्रेस-एनसीपी का ही प्रवेश हो पाता था। उनकी परेशानियां कभी नहीं सुनी गईं। उन्हें उद्धव के दफ्तर जाने का सौभाग्य तक नहीं मिला। हम उद्धव के सामने अपनी बातें नहीं रख पाते थे। एकनाथ शिंद ने चिट्ठी में लिखा कि पिछले ढाई साल से शिवसेना विधायक के तौर पर हमारे लिए वर्षा के दरवाजे बंद थे। जो लोग विधान परिषद या राज्यसभा के जरिये आए, यानी जिन्हें जनता ने नहीं चुना, वे लोग हमें चला रहे थे। शिंदे ने लिखा कि एक शिवसेना विधायक के तौर पर उनकी वर्षा बंगले तक सीधी पहुंच नहीं थी। मुख्यमंत्री मंत्रालय की छठी मंजिल पर सभी से मिलते रहे, लेकिन उनके लिए समय नहीं था। निर्वाचन क्षेत्र के कामों, अन्य मुद्दों और व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम से मिलने का अनुरोध किया जाता था, लेकिन उन्हें दरवाजे पर खड़ा रखा जाता था। सीएम फोन रिसीव नहीं करते थे।  अपने ही विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? 

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