महाराष्ट्र में CM नहीं बन पाया शिवसैनिक, उद्धव ठाकरे को होगा इन 10 गलतियों का अफसोस

महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का सीएम बनाने की जिद्द पर शिवसेना को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ है। हाथ आया सरकार बनाने का मौका अब फिसल गया है। हालांकि, सरकार बनाने में शिवसेना से बड़ी चूक हुई है। जिसका शिवसेना प्रमुख को हमेशा इन गलतियाों का अफसोस रहेगा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 12, 2019 2:59 AM IST / Updated: Nov 12 2019, 09:07 AM IST

मुंबई. महाराष्ट्र में भाजपा औ शिवसेना के गठबंधन ने विधानसभा का चुनाव साथ लड़ा। स्पष्ट बहुमत भी हासिल किया मगर ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की मांग पर सहमति न बन पाने की वजह से अलग हो गए। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया, पर्याप्त बहुमत नहीं होने की वजह से पार्टी ने अपना दावा पेश नहीं किया।

इसके बाद शिवसेना को बुलाया गया। संभावित सहयोगियों (एनसीपी और कांग्रेस) के भरोसे के बावजूद आखिरी वक्त तक शिवसेना विधायकों का समर्थन पत्र नहीं दे पाई। अब राज्य के तीसरे बड़े दल एनसीपी को न्योता मिला है। मंगलवार शाम तक एनसीपी को न्योते पर जवाब देना है। शिवसेना और उसके चीफ उद्धव ठाकरे से कहां गलतियां हुईं जो वह समझ नहीं पाई।

1. सेना के पास नहीं था प्लान बी

शिवसेना अपना मुख्यमंत्री चाहती थी, मगर कैसे? पार्टी के पास इसका कोई ठोस प्लान नहीं था।

2. दूसरे विकल्प पर देरी से काम

पार्टी ने बीजेपी से अलग सरकार बनाने के संकेत नतीजों के बाद कई बार दिए मगर समय रहते उस पर काम नहीं किया।  

3. विपक्ष के संकेत पर नहीं दिखाई सक्रियता

24 अक्तूबर को मतगणना के समय से ही विपक्ष के नेताओं की ओर से बीजेपी को रोकने के लिए महाराष्ट्र में कर्नाटक पैटर्न दोहराने के संकेत मिलने लगे थे। मगर शिवसेना की ओर से सक्रियता नहीं दिखी।

4. कोई फॉर्मूला ही नहीं था

शिवसेना के पास एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का न तो कोई मॉडल था और ना ही फॉर्मूला।

5. लीडरशिप में कमी  

संजय राऊत के अलावा शिवसेना के पास सक्षम नेतृत्व ही नहीं था जो मुंबई और दिल्ली में रणनीति बना सके। अपनी योजनाओं को लेकर समय रहते कुछ हल निकाल पाए।

6. संजय राऊत की अस्वस्थता  

आखिरी कुछ घंटों में संजय राऊत का अस्वस्थ हो जाना भी शिवसेना के लिए नुकसानदेह साबित हुआ।

7. कांग्रेस-एनसीपी नेताओं से मिलने में देरी

आखिरी वक्त में शिवसेना ने एनसीपी के शीर्ष नेतृत्व से बात की मगर कांग्रेस नेताओं और उसके शीर्ष नेतृत्व से मिलने में देरी की।

8. मुख्यमंत्री का नाम नहीं तय कर पाई

जूनियर होने की वजह से आदित्य ठाकरे के अंडर में एनसीपी-कांग्रेस के कुछ नेताओं ने काम करने से ऐतराज जताया। सीएम पद के लिए उद्धव का नाम आया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

9. संभावित सहयोगियों को भरोसा ही नहीं था

शिवसेना की पिछली राजनीति को लेकर एनसीपी और कांग्रेस के एक धड़े में भरोसे की कमी थी।

10. वक्त ही नहीं था

शिवसेना के लिए सबकुछ देर से शुरू हुआ। राज्यपाल ने सिर्फ 24 घंटे का समय दिया था जिसमें पार्टी बहुमत का समर्थन पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाई।

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