मुइज्जू राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद अपने देश से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की अपील कर रहे थे। इसी चीज के लिए उन्होंने 15 मार्च तक भारत सरकार को अपने सैनिक वापस बुलाने का आह्वान किया था।
भारत-मालदीव। इस वक्त भारत और मालदीव के बीच रिश्ते तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत विरोधी नीति रही है। उन्होंने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद अपने देश से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की अपील कर रहे थे। इसी चीज के लिए उन्होंने 15 मार्च तक भारत सरकार को अपने सैनिक वापस बुलाने का आह्वान किया था। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए भारत ने शुक्रवार (2 फरवरी) को कहा कि मालदीव में भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के संचालन को जारी रखने के लिए मालदीव के साथ पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधानों पर सहमति बनी है।
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत 10 मई तक मालदीव में तीन विमानन प्लेटफार्मों का संचालन करने वाले अपने सैन्य कर्मियों को बदल देगा। इसमें यह भी कहा गया कि प्रक्रिया का पहला चरण 10 मार्च तक पूरा हो जाएगा।राजनयिक विवाद के बीच दोनों पक्षों के बीच दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह बयान आया। भारत के इस कदम से मुइज्जू के INDIA OUT कैंपेन को झटका लगा है।
मालदीव के विदेश मंत्रालय का बयान
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत सरकार 10 मार्च तक तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक में सैन्य कर्मियों को बदल देगी और 10 मई तक अन्य दो प्लेटफार्मों में सैन्य कर्मियों को बदलने का काम पूरा कर लेगी।" यानी इसका सीधा मतलब है कि न तो भारत सरकार 15 मार्च तक अपने सैनिकों को वापस बुलाएगा और सैनिकों को बुलाने के बजाए बदलने पर सहमति बनाई है।
बता दें कि व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू ने पिछले महीने भारत से 15 मार्च तक द्वीप राष्ट्र से अपने सभी सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए कहा था।
भारत के विदेश मंत्रालय का बयान
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्ष "भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को बनाए रखने के लिए पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधानों के एक सेट पर सहमत हुए" जो मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सा निकासी सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की अगली बैठक पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर माले में होगी।पिछले साल दिसंबर में दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुइज़ू के बीच एक बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कोर ग्रुप स्थापित करने का निर्णय लिया।
फिलहाल वर्तमान में लगभग 80 भारतीय सैन्यकर्मी मुख्य रूप से दो हेलीकॉप्टर और एक विमान संचालित करने के लिए मालदीव में हैं, जिन्होंने सैकड़ों चिकित्सा निकासी और मानवीय मिशनों को अंजाम दिया है। भारतीय मंच पिछले कुछ वर्षों से मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सा निकासी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।