मणिपुर में BJP के सहयोगी दल ने बीरेन सिंह सरकार से वापस लिया समर्थन, राज्यपाल को लिखे लेटर में कहा-हमारा समर्थन शून्य माना जाए

Published : Aug 06, 2023, 08:32 PM ISTUpdated : Aug 06, 2023, 09:11 PM IST
Biren Singh

सार

पूर्वोत्तर राज्य में तीन महीने से अधिक समय से जारी हिंसा के कारण मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार ने अपना एक सहयोगी खो दिया। 

गुवाहाटी: मणिपुर हिंसा की आंच अब राजनीतिक गठबंधनों पर भी पड़ने लगी है। तीन महीने से हिंसा की आग में झुलस रहे इस पूर्वोत्तर राज्य में राजनीतिक उठापटक भी तेज होती दिख रही है। बीजेपी सरकार की सहयोगी पार्टी कुकी पीपुल्स अलायंस ने एन बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। केपीए के अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने राज्य सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान करते हुए कहा कि मौजूदा टकराव को देखते हुए सरकार को समर्थन जारी रखना निरर्थक है। हालांकि, समर्थन वापसी से सरकार के बहुमत वाले आंकड़े पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

कुकी पीपुल्स अलायंस ने कहा-हमारा समर्थन शून्य समझा जाए

मणिपुर में तीन महीने से हिंसा जारी है। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही इस खूनी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने अपना एक सहयोगी खो दिया। कुकी पीपुल्स अलायंस ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए कुकी पीपुल्स अलायंस ने राज्यपाल अनसुइया उईके को लेटर भी लिखा है। कुकी पीपुल्स अलायंस के पास 2 से अधिक विधायक हैं। वह बीजेपी का राज्य में सहयोगी है।

केपीए अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने कहा कि मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को समर्थन जारी रखा अब निरर्थक है। ऐसे में हमने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। मणिपुर सरकार से समर्थन वापसी की जानकारी देते हुए पार्टी ने राज्यपाल को भी लेटर लिखा है। राज्यपाल को लिखे लेटर में पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर सरकार को केपीए का समर्थन वापस लिया जाता है और समर्थन को शून्य माना जा सकता है।

राज्य में बीजेपी के पास बहुमत

मणिपुर राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं। यहां बीजेपी ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि पांच एनपीएफ विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। कुकी पीपुल्स अलायंस के दो विधायक हैं। जबकि विपक्षी एनपीपी के पास सात विधायक, कांग्रेस के पास पांच और जेडीयू के पास छह विधायक हैं।

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