मणिपुर में जातीय हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमीशन का ऐलान, Gauhati हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस होंगे अध्यक्ष

हजारों लोग इस हिंसा की वजह हुई आगजनी की चपेट में आकर बेघर हो चुके हैं। कूकी और मैतेई समुदायों के बीच हुई इस हिंसा से पूरे राज्य में तनाव है।

 

Manipur Violence updates: मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है। जांच आयोग के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस होंगे। छह महीने के भीतर इस तीन सदस्यीय आयोग को अपनी रिपोर्ट देनी होगी। मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा में कम से कम 80 लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग इस हिंसा की वजह हुई आगजनी की चपेट में आकर बेघर हो चुके हैं। कूकी और मैतेई समुदायों के बीच हुई इस हिंसा से पूरे राज्य में तनाव है।

जानिए कौन-कौन है आयोग में…

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जांच आयोग की अध्यक्षता गौहाटी हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजय लांबा करेंगे। जांच आयोग में पूर्व ब्यूरोक्रेट हिमांशु शेखर दास और इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर आलोक प्रभाकर को सदस्य बनाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन में कहा कि जांच आयोग हिंसा के कारणों और प्रसार की वजहों पर गौर करेगा। जांच आयोग इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेगा कि क्या किसी की ओर से कोई चूक या कर्तव्य का पालन नहीं हुआ या प्रशासनिक उपायों की पर्याप्तता इस हिंसा के पीछे की वजह रही। आयोग को अपनी रिपोर्ट छह महीने के भीतर देना होगा।

एक महीना तक बेकाबू रही राज्य में हिंसा...

मणिपुर में एक महीना तक हिंसा बेकाबू रही। बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में कई दिनों तक प्रवास कर हिंसा प्रभावित क्षेत्र के प्रमुख लोगों से मुलाकात कर शांति वार्ता की। कूकी और मैतेई समुदायों के विभिन्न लोगों से मुलाकात कर गृह मंत्री ने शांति की अपील के साथ उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। मणिपुर की चार दिवसीय यात्रा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने 1 जून को शांति बहाली के लिए सरकार की ओर से शांति योजना की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जातीय हिंसा की जांच हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कमेटी से कराएंगे। साथ ही पीस कमेटी का भी गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल करेंगे। इसमें विभिन्न समुदायों के प्रमुख लोगों को शामिल किया गया। सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह को भी इसका सदस्य बनाया गया। गृह मंत्री के ऐलान के अगले दिन राज्य के हिंसाग्रस्त कई क्षेत्रों में कर्फ्यू में ढील दी गई तो पांच जिलों से कर्फ्यू हटा लिया गया।

क्या है मणिपुर जातीय हिंसा?

इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव में अब तक 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई हजार घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना हो चुके है। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में पिछले 25 दिनों से इंटरनेट बंद है। दरअसल, आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है। उधर, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एक जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया, इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई।

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