मणिपुर हिंसा पर काबू नहीं पाए जाने की वजहों में असम राइफल्स का पक्षपातपूर्ण व्यवहार भी बताया जा रहा है। हालांकि, एआर के महानिदेशक ले.जन.पीसी नायर ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
Manipur Violence updates: मणिपुर एक साल से जातीय हिंसा की चपेट में है। हिंसाग्रस्त राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों पर भी पक्षपातपूर्ण व्यवहार के आरोप लगते रहे हैं। असम राइफल्स पर भी एक जातीय विशेष की मदद और दूसरे को प्रताड़ित करने का आरोप लग रहे हैं। आए दिन आ रहे रिपोर्ट्स को एआर के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने खारिज करते हुए आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि असम राइफल्स एक समुदाय का पक्ष ले रहा है और दूसरे का नहीं। एआर को किसी विशेष समुदाय के प्रति पक्षपाती कहना कुछ और नहीं बल्कि कुछ लोगों द्वारा गुप्त एजेंडे के साथ फैलाई गई अफवाह है।
लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा: पहले दिन से ही असम राइफल ने मणिपुर में तटस्थ रुख बनाए रखा है। ये सभी आरोप एजेंडा से प्रेरित हैं। जब मैं इनमें से कुछ बेवकूफी भरी रिपोर्ट पढ़ता हूं जिसमें कहा गया है कि असम राइफल्स एक समुदाय का पक्ष ले रही है दूसरे का नहीं। ये कुछ और नहीं बल्कि अफवाह, झूठ और बेतुकी बातें हैं। हमें किसी खास समुदाय के प्रति पक्षपाती कहना गलत है। अगर वीडियो चल रहे हैं तो वे छेड़छाड़ किए गए वीडियो हैं। मेरे पास लगभग 30 से 40 वीडियो हैं जो प्रसारित हो रहे हैं। वे पूर्वोत्तर से भी संबंधित नहीं हैं। वे म्यांमार व अन्य स्थानों से हैं। उनमें से कुछ रोहिंग्या क्षेत्र से हैं। लेकिन इन वीडियो को यहां का बता कर वायरल किया जा रहा है।
बीएसएफ के पूर्व अतिरिक्त डीजी लगा चुके हैं आरोप
दरअसल, असम राइफल्स पर बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा भी पक्षपात का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने साफ कहा कि मैतेई और कूकी के बीच हिंसा को कम करने में विफलता मणिपुर में कमान और कंट्रोल के कोआर्डिनेशन के बीच कमी है। उन्होंने कहा कि मणिपुर को स्थिर करने के लिए राज्य से एक अर्धसैनिक बल को स्थानांतरित किया जाना चाहिए। मैं बहुत दृढ़ता से दोहराता हूं कि अगर असम राइफल्स को हटा दिया जाए तो निश्चित रूप से हिंसा समाप्त हो जाएगी। असम राइफल्स को जाना होगा क्योंकि वह बहुत सालों से वहां हैं।
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