मणिपुर हिंसा के 9 और मामले सीबीआई के हवाले: मैतेई महिला गैंगरेप की भी जांच कर सकती एजेंसी

सीबीआई ने पहले भी 8 मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। इसमें राज्य में महिलाओं के सेक्सुअल हैरेसमेंट के दो मामले भी हैं।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 13, 2023 12:32 PM IST / Updated: Aug 13 2023, 11:08 PM IST

Manipur violence CBI investigation: मणिपुर हिंसा के दौरान दर्ज किए गए 9 और मामलों की जांच सीबीआई करेगी। सीबीआई ने पहले भी 8 मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। इसमें राज्य में महिलाओं के सेक्सुअल हैरेसमेंट के दो मामले भी हैं। केंद्रीय एजेंसी के पास अब कुल 17 केस जांच के लिए हैं। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि अभी महिला यौन हिंसा से जुड़े और केस में वह जांच का दायरा बढ़ा सकती है। मैतेई महिला के साथ गैंगरेप की भी जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है।

पूर्व आईपीएस करेंगे सीबीआई जांच की निगरानी

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया है। पूर्व आईपीएस दत्तात्रेय पडसलगीकर को सीबीआई जांच की निगरानी का जिम्मा कोर्ट ने सौंपा है। कोर्ट ने कहा कि मणिपुर में सीबीआई जांच करने वाली टीम में डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे। इन अधिकारियों को विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा। यह अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे।

42 एसआईटी का भी गठन

कोर्ट ने आदेश दिया कि मणिपुर हिंसा के उन मामलों जोकि सीबीआई को ट्रांसफर नहीं किए गए हैं, को 42 एसआईटी देखेंगी। इस एसआईटी की निगरानी मणिपुर के बाहर के डीआईजी रैंक के अधिकारियों के जिम्मे होगी। राज्य के बाहर के सात डीआईजी रैंक के अधिकारियों को एसआईटी की निगरानी के लिए लगाया जाएगा। प्रत्येक डीआईजी रैंक का अधिकारी, छह एसआईटी की निगरानी करेगा कि जांच सही चल रही है या नहीं।

पुनर्वास व अन्य मदद के लिए तीन रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाई

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा से संबंधित मामलों में पुनर्वास, अन्य मुद्दों पर गौर करने और इस पर फोकस रखने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की एक कमेटी गठित की है। कमेटी का दायरा हिंसा की घटनाओं की जांच से अधिक व्यापक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित करते हुए कहा कि हमारा प्रयास कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। हम एक स्तर पर तीन पूर्व एचसी न्यायाधीशों की एक समिति का गठन कर रहे। यह समिति जांच के अलावा अन्य चीजों को भी देखेगी - जिसमें राहत, उपचारात्मक उपाय आदि शामिल होंगे। कमेटी जस्टिस गीता मित्तल (जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश), जस्टिस शालिनी जोशी (बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश) और जस्टिस आशा मेनन (दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश) होंगी।

यह भी पढ़ें:

जम्मू-कश्मीर में हर घर तिरंगा अभियान: हिजबुल के हार्डकोर आतंकवादी के भाई ने फहराया घर पर तिरंगा

Share this article
click me!