मणिपुर हिंसा पर CDS बोले-उग्रवाद या आतंकवाद नहीं जातीय संघर्ष हिंसा की वजह, सीएम एन बीरेन सिंह ने बताया था आतंकवादी

मणिपुर में जातीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक महीना से लगातार हिंसा जारी है। दो दिन पहले मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने हिंसा कर रहे लोगों को आतंकवादी और उग्रवादी करार दिया था।

Dheerendra Gopal | Published : May 30, 2023 10:38 AM IST / Updated: May 30 2023, 05:51 PM IST

Manipur Violence updates: मणिपुर में जातीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक महीना से लगातार हिंसा जारी है। दो दिन पहले मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने हिंसा कर रहे लोगों को आतंकवादी और उग्रवादी करार दिया था। उन्होंने दावा किया कि 40 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। हालांकि, मंगलवार को सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मणिपुर में उग्रवादी हिंसा को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अशांत राज्य में हिंसा दो जातियों के बीच संघर्ष का नतीजा है, इसका उग्रवाद से कोई लेना देना नहीं है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ ने कहा कि मणिपुर में चुनौतियों से निपटने में कुछ समय लगेगा लेकिन स्थितियां ऐसी भी नहीं कि बेकाबू हो गई हैं।

क्या कहा देश के तीनों सेनाओं के चीफ ने?

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि मणिपुर की स्थिति का उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है और मुख्य रूप से दो जातियों के बीच टकराव है। यह कानून और व्यवस्था की तरह की स्थिति है और हम राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमने एक उत्कृष्ट काम किया है और बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है। मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं और इसमें कुछ समय लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि उन्हें शांत हो जाना चाहिए।"

क्या है मणिपुर की ताजा स्थिति?

इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव जारी है। यह हिंसा मेइती लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा है। हिंसा में अब तक 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई हजार घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना होने जा रहा है। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में पिछले 25 दिनों से इंटरनेट बंद है। दरअसल, आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है। उधर, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एक जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया, इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई। हिंसा में मारे गए परिजन को मिलेंगे दस-दस लाख रुपये… पूरी डिटेल खबर पढ़िए…

Share this article
click me!