मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को 10-10 लाख रुपये मुआवजा: जायजा लेने पहुंचे अमित शाह, शांति के लिए बना रहे कौन सी रणनीति ?
अमित शाह, हिंसा प्रभावित कुछ जिलों का दौरा भी किए हैं। यहां वह मैतेई और कूकी आदिवासीयों से संवाद स्थापित करने की भी कोशिश कर रहे हैं। 3 मई से मणिपुर में हिंसा हो रही है।
Dheerendra Gopal | Published : May 30, 2023 9:59 AM IST / Updated: May 30 2023, 09:52 PM IST
Manipur Violence updates: मणिपुर में जातीय संघर्ष लगातार जारी है। गृहमंत्री अमित शाह सोमवार की शाम को मणिपुर पहुंचे। पहुंचने के बाद देर रात तक शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ मंत्रिपरिषद सहित सुरक्षा अधिकारियों के साथ कई दौर की मीटिंग की है। उधर, केंद्र सरकार ने मणिपुर जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिजन के लिए दस-दस लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। गृहमंत्री शाह ने अशांत राज्य के कई हिस्सों का मंगलवार को दौरा किया। शाह 1 जून तक मणिपुर में ही रहेंगे। उनके सहयोगी गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय पहले से ही यहां डेरा डाले हुए हैं।
अमित शाह ने हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले का दौरा किया। यहां आदिवासी महिलाओं ने राष्ट्रीय ध्वज थामे उनका स्वागत किया। अशांति के बीच पोस्टरों में कहा गया कि केवल केंद्र ही समाधान ढूंढ सकता है।
गृह मंत्री ने इंफाल में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई प्रमुख हस्तियों के साथ मुलाकात भी की है। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शाह से मिलने वाली प्रमुख हस्तियों ने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हम साथ मिलकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देंगे। इंफाल में मुख्यमंत्री सचिवालय में विस्तृत चर्चा हुई जहां कई प्रमुख लोगों ने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने का संकल्प लिया। केंद्र ने यह भी कहा कि अफवाहों को दूर करने के लिए बीएसएनएल की मदद से टेलीफोन लाइनें स्थापित की जाएंगी।
सोमवार देर शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इंफाल पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद सबसे पहले राज्य सरकार के मंत्रिपरिषद की मीटिंग में भाग लिया। सीएम एन बीरेन सिंह के मंत्रिमंडिल सदस्यों से मुलाकात करने के बाद उन्होंने राज्य के टॉप सिक्योरिटी ऑफिसर्स के साथ हाईलेवल मीटिंग की और राज्य के हालात की ताजा स्थितियों से अवगत हुए। गृह मंत्री शाह की मीटिंग राज्यपाल अनुसुइया उइके के साथ भी हुई।
अमित शाह, हिंसा प्रभावित कुछ जिलों का दौरा भी किए हैं। यहां वह मैतेई और कूकी आदिवासीयों से संवाद स्थापित करने की भी कोशिश कर रहे हैं। 3 मई से मणिपुर में हिंसा हो रही है।
रविवार को हिंसा में एक पुलिसवाला समेत कम से कम पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है। एक दर्जन के आसपास लोग हिंसा में घायल भी हुए। बताया जा रहा है कि विद्रोहियों के पास कथित तौर पर अत्याधुानिक हथियार है। सेना, सेंट्रल पैरा-मिलिट्री, मणिपुर पुलिस कमांडो, मणिपुर पुलिस की रैपिड एक्शन फोर्स अभी भी इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। इंफाल घाटी के बाहरी इलाके में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा निकाला जा रहा है। शाह के दौरे के पहले 25 हथियारबंद लोगों को अरेस्ट करने का दावा किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा को रोकने और सामान्य स्थिति लाने के लिए भारतीय सेना और असम राइफल्स के लगभग 140 कॉलम, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारी शामिल थे, को तैनात किया जाना था।
रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया कि मणिपुर में हिंसा फैलाने रहे, नागरिकों पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला कर रहे कम से कम 40 आतंकियों को मार गिराया गया है। मुख्यमंत्री बताया कि उनको रिपोर्ट मिली है कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में 40 ‘आतंकवादियों’ को मार गिराया गया है। दावा किया कि मारे गए लोग आम नागरिकों के खिलाफ एम-16 और एके-47 असाल्ट राइफल्स व स्नाइपर गन्स का इस्तेमाल कर रहे थे।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय यहां शांति मिशन के लिए राज्य में ही कैंप किए हुए हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय भी दो दिवसीय यात्रा कर स्थितियों का जायजा ले चुके हैं।
इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव जारी है। यह हिंसा मेइती लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा है।
हिंसा में अब तक 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई हजार घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना होने जा रहा है। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में पिछले 25 दिनों से इंटरनेट बंद है। दरअसल, आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है। उधर, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एक जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया, इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई।