मणिपुर के सबसे पुराने सशस्त्र गिरोह ने राज्य सरकार से किया शांति समझौता, मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के साथ किया सामूहिक लंच

मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने कहा कि शांति समझौता में घाटी के सबसे पुराने सशस्त्र ग्रुप के सदस्यों के शामिल होने से राज्य खुशहाली और विकास के रास्ते में तेजी से चलेगा।

Manipur violence updates: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में सबसे पुराने सशस्त्र ग्रुप के सदस्यों ने राज्य में शांति समझौते में शामिल होने का फैसला किया है। पीस पैक्ट पर हस्ताक्षर किए जाने का राज्य सरकार ने स्वागत किया है। मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने कहा कि शांति समझौता में घाटी के सबसे पुराने सशस्त्र ग्रुप के सदस्यों के शामिल होने से राज्य खुशहाली और विकास के रास्ते में तेजी से चलेगा। अभी और ग्रुप्स के सशस्त्र सदस्य शांति समझौता में शामिल होंगे।

इंफाल में आयोजित शांति समझौता समारोह में मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने कहा कि घाटी में शांति के एक नए युग की शुरूआत हुई है। इंफाल के कांगला पैलेस मैदान में सामूहिक लंच में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, उनके मंत्रिमंडल के साथी और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) पम्बेई गुट के सदस्य शामिल हुए। दोनों पक्षों ने हाथ मिलाकर शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए।

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मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने कहा कि हम घाटी स्थित अन्य समूहों के शांति प्रक्रिया में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि मणिपुर में शांति की दिशा में एक समाधान लाया जा सके। यूएनएलएफ एक 60 साल पुराना संगठन है जो कभी बातचीत के लिए सहमत नहीं हुआ लेकिन इस बार उन्होंने इस पर भरोसा जताया है।

दरअसल, यूएनएलएफ मणिपुर राज्य में सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ रहा है। यह ग्रुप, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों के तरह एक प्रतिबंधित संगठन है। यह संगठन मणिपुर का भारत गणराज्य से विलय को अवैध मानता है।

यूएनएलएफ ने क्या कहा?

यूएनएलएफ के महासचिव सीएच थानिल ने कहा कि वे शांति प्रक्रिया में शामिल होकर खुश हैं। स्थायी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ करेंगे। हम शांति से बात करेंगे और यदि सौहार्दपूर्ण समाधान आता है तो हम अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट एक बहुत छोटा मामला है। दरअसल, इस गड़बड़ी के पीछे बाहर से कुछ लोग शामिल हैं।

यूएनएलएफ के अधिकांश अड्डे भारत की सीमा के ठीक पार म्यांमार के घने जंगलों में हैं। यूएनएलएफ का गठन नवंबर 1964 में अध्यक्ष खलानलांग कामेई किया गया था। इस संगठन के उपाध्यक्ष थांगखोपाओ सिंगसिट और महासचिव ए सोमारेंद्रो सिंह हैं। इसने फरवरी 1990 में अपनी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) की स्थापना की। यूएनएलएफ बाद में आंतरिक मतभेदों के कारण दो गुटों में विभाजित हो गया। यह वार्ता, विरोधी गुट का नेतृत्व आरके अचौ सिंह उर्फ कोइरेंग कर रहे हैं।

मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़की थी। कूकी और मैतेई के बीच संघर्ष में कम से कम 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

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