मणिपुर में थम नहीं रही हिंसा: शांति बहाली के लिए अमित शाह अपनी टीम के साथ किए कैंप, जानें 10 महत्वपूर्ण बातें
इंफाल पहुंचे अमित शाह ने बढ़ती जातीय हिंसा के समाधान के लिए कुकी और मेइती नेताओं के विभिन्न ग्रुप्स के अलावा मणिपुर कैबिनेट और सिक्योरिटी फोर्सेस के टॉप आफिसर्स से कई दौर में मीटिंग कर चुके हैं।
Dheerendra Gopal | Published : May 31, 2023 12:23 PM IST / Updated: May 31 2023, 06:53 PM IST
Manipur Violence updates: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में कैंप कर रहे हैं। यहां एक महीना से जातीय हिंसा बेकाबू है। यहां जातीय हिंसा से कम से कम 80 लोग मारे जा चुके हैं। इंफाल पहुंचे अमित शाह ने बढ़ती जातीय हिंसा के समाधान के लिए कुकी और मेइती नेताओं के विभिन्न ग्रुप्स के अलावा मणिपुर कैबिनेट और सिक्योरिटी फोर्सेस के टॉप आफिसर्स से कई दौर में मीटिंग कर चुके हैं। शाह अभी तक करीब एक दर्जन मीटिंग कर चुके हैं, इसमें सर्वदलीय मीटिंग भी शामिल है। उधर, केंद्र सरकार ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को दस-दस लाख रुपये सहायता देने का मंगलवार को ऐलान किया था।
अमित शाह ने बुधवार की सुबह मोरेह का दौरा किया। यह राज्य का हिंसा प्रभावित क्षेत्र है। यहां उन्होंने कुकी नागरिकों के समूहों से बातचीत की है। साथ ही वहां की स्थितियों के बारे में भी जानकारी ली। इसके बाद वे दोपहर 1 बजे के आसपास कांगपोकपी जिले में पहुंचे। यह जिला कुकी बहुल क्षेत्र है। लेकिन तमाम मैतेई समुदायों के भी गांव हैं। यहां हिंसा से काफी अधिक तबाही हुई है। दोनों समुदायों के धार्मिक स्थलों और इमारतों को यहां निशाना बनाया गया है।
हालांकि, अमित शाह और उनके गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के लगातार कैंप करने के बावजूद राज्य में हिंसा में कमी नहीं आ सकी है। मंगलवार और बुधवार को राज्य के कई हिस्सों में जातीय संघर्ष जारी रहा। काकचिंग जिले के सुगुनू में विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के बीच मंगलवार की रात में काफी गोलीबारी हुई।
आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य की 10 आदिवासी विधायकों की मांग को अमित शाह ने सिरे से खारिज कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने नागरिक समाज के नेताओं से शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया और वादा किया कि एक राजनीतिक समाधान तेजी से शुरू किया जाएगा।
सोमवार देर शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इंफाल पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद सबसे पहले राज्य सरकार के मंत्रिपरिषद की मीटिंग में भाग लिया। सीएम एन बीरेन सिंह के मंत्रिमंडिल सदस्यों से मुलाकात करने के बाद उन्होंने राज्य के टॉप सिक्योरिटी ऑफिसर्स के साथ हाईलेवल मीटिंग की और राज्य के हालात की ताजा स्थितियों से अवगत हुए। गृह मंत्री शाह की मीटिंग राज्यपाल अनुसुइया उइके के साथ भी हुई।
रविवार को हिंसा में एक पुलिसवाला समेत कम से कम पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है। एक दर्जन के आसपास लोग हिंसा में घायल भी हुए। बताया जा रहा है कि विद्रोहियों के पास कथित तौर पर अत्याधुानिक हथियार है। सेना, सेंट्रल पैरा-मिलिट्री, मणिपुर पुलिस कमांडो, मणिपुर पुलिस की रैपिड एक्शन फोर्स अभी भी इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। इंफाल घाटी के बाहरी इलाके में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा निकाला जा रहा है।
पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा को रोकने और सामान्य स्थिति लाने के लिए भारतीय सेना और असम राइफल्स के लगभग 140 कॉलम, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारी शामिल थे, को तैनात किया जाना था।
रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया कि मणिपुर में हिंसा फैलाने रहे, नागरिकों पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला कर रहे कम से कम 40 आतंकियों को मार गिराया गया है। मुख्यमंत्री बताया कि उनको रिपोर्ट मिली है कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में 40 ‘आतंकवादियों’ को मार गिराया गया है। दावा किया कि मारे गए लोग आम नागरिकों के खिलाफ एम-16 और एके-47 असाल्ट राइफल्स व स्नाइपर गन्स का इस्तेमाल कर रहे थे।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय यहां शांति मिशन के लिए राज्य में ही कैंप किए हुए हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय भी दो दिवसीय यात्रा कर स्थितियों का जायजा ले चुके हैं।
इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव जारी है। यह हिंसा मेइती लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा है।
हिंसा में अब तक 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई हजार घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना होने जा रहा है। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में पिछले 25 दिनों से इंटरनेट बंद है। दरअसल, आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है। उधर, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एक जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया, इसके बाद हिंसा बेकाबू हो गई।