मनीष सिसोदिया को नहीं मिली जमानत: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा-आरोपी प्रभावशाली, सबूतों से हो सकती छेड़छाड़

Published : May 21, 2024, 07:24 PM ISTUpdated : May 21, 2024, 07:54 PM IST
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सार

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी प्रभावशाली है इसलिए सबूतों से छेड़छाड़ की काफी आशंका है। 

Manish Sisodia bail plea rejected: आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उनको जमानत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी प्रभावशाली है इसलिए सबूतों से छेड़छाड़ की काफी आशंका है। दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी।

सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं सिसोदिया

हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और आबकारी नीति को तैयार करने में जनता का विश्वास तोड़ा। बेंच ने कहा कि सिसोदिया काफी प्रभावशाली हैं, वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। बेंच ने माना कि सिसोदिया द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वह डिप्टी सीएम रहे हैं, उनके पास 18 विभाग थे। इससे साफ है कि वह काफी प्रभावशाली हैं और पॉवर सेंटर रहे हैं।

दिल्ली आबकारी नीति केस में आप के तीन नेता हो चुके हैं अरेस्ट

दिल्ली आबकारी नीति केस में आम आदमी पार्टी के तीन नेताओं को जेल हो चुकी है। हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सांसद संजय सिंह की जमानत हो चुकी है। अरविंद केजरीवाल बीते 21 मार्च को अरेस्ट किए गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनको लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी है। जबकि राज्यसभा सांसद संजय सिंह को पहले ही जमानत मिल गई। पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को अरेस्ट किया था। ईडी ने 9 मार्च 2023 को इस मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरेस्ट कर लिया। सिसोदिया तभी से जेल में हैं।

दिल्ली सरकार ने 17 नवम्बर 2021 को नई आबकारी नीति को लागू किया था। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 में नई नीति को रद्द कर दिया और पुरानी नीति को फिर से लागू कर दिया गया। हालांकि, इस मामले में बीजेपी द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद उप राज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। सीबीआई द्वारा जांच शुरू करते हुए एफआईआर के बाद ईडी ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी।

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