मनमोहन सिंह ने 24 घंटे के अंदर दिया जवाब, कहा, सरकार पर किसी के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि सरकार पर किसी के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती, सरकार की उदासीनता से भारतीयों के भविष्य और आकांक्षाओं पर असर पड़ रहा है।

नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि सरकार पर किसी के सिर दोष मढ़ने का जुनून सवार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती, सरकार की उदासीनता से भारतीयों के भविष्य और आकांक्षाओं पर असर पड़ रहा है। निचली मुद्रास्फीति की सनक से किसानों पर संकट, सरकार की आयात-निर्यात नीति से भी समस्यायें खड़ी हो रही हैं। बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण ने बैंकों की खस्ता हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। 

भाजपा सरकार सिर्फ विपक्ष पर दोष मढ़ने में जुटी- मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र भर मे कारोबारी धारणा काफी कमजोर, कई इकाइयां बंद हुईं। भाजपा सरकार सिर्फ विपक्ष पर दोष मढ़ने में जुटी है और समाधान ढूंढने में असफल हो गई। बता दें कि हाल ही में वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौर को जिम्मेदार ठहाराया था। उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए 'सबसे बुरा दौर' था। 

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सार्वजनिक बैंकों को 'नया जीवन' देना मेरा पहला कर्तव्य- निर्मला
सीतारमण ने मंगलवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में एक व्याख्यान में कहा कि सभी सार्वजनिक बैंकों को 'नया जीवन' देना आज मेरा पहला कर्तव्य है। वित्त मंत्री ने कहा, 'मैं रघुराम राजन का एक महान विद्वान के रूप में सम्मान करती हूं। उन्हें उस समय केंद्रीय बैंक में लिया गया जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के दौर में थी।' आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन की मोदी सरकार पर टिप्पणी को लेकर सीतारमण ने कहा कि राजन के दौर में ही बैंक लोन से जुड़ी काफी दिक्कतें थी। 

'नेताओं के फोन भर से कर्ज दिया'
निर्मला सीतारमण ने कहा, 'रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में वह राजन का ही कार्यकाल था " जब साठगांठ करने वाले नेताओं के फोन भर से कर्ज दिया गया। इस मुश्किल से बाहर निकलने के लिए बैंक आज तक सरकारी पूंजी पर निर्भर हैं।' उन्होंने कहा, 'डॉक्टर सिंह प्रधानमंत्री थे और मुझे भरोसा है कि डॉक्टर राजन इस बात से सहमत होंगे कि सिंह 'भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर' निरंतर स्पष्ट दृष्टिकोण रखते थे।'

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