राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान दिया था। भागवत ने कहा था कि हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं। इसी बयान का जवाब मंच से अरशद मदनी दे रहे थे।
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन का आखिरी दिन विवादों में घिर गया। मौलाना अरशद मदनी के एक बयान ने बवाल मचा दिया। मदनी ने हिंदुओं के पूर्वजों को लेकर कहा कि तुम्होर पूर्वज हिंदू नहीं मनु थे, मनु यानि आदम थे। इस बयान से गुस्साएं अन्य धर्म गुरुओं ने मंच छोड़ दिया। इन लोगों ने मदनी के बयान का खुलकर विरोध किया।
जिसे आप ईश्वर कहते, उसी को तो हम अल्लाह कहते...
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान दिया था। भागवत ने कहा था कि हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं। इसी बयान का जवाब मंच से अरशद मदनी दे रहे थे। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मैंने पूछा कि जब कोई नहीं था। न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे; जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ओम को पूजते थे। ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उसका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें आप ईश्वर कहते हैं।
मदनी ने कहा, 'हजरत आदम जो नबी थे सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं और हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया। मैंने बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि अल्लाह ने जिस पहले आदमी को धरती पर उतारा वो किसकी पूजा करता था। दुनिया के अंदर अकेला आदम था, उसे कहते क्या हो। लोग अलग-अलग बातें कहते थे। धर्मगुरुओं ने कहा कि हम उसे मनु कहते हैं, हम आदम कहते हैं, अंग्रेजी बोलने वाले एडम कहते हैं। हम आदम की औलाद को आदमी और ये मनु की औलाद को मनुष्य कहते हैं।'
रामलीला मैदान में अधिवेशन...
दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 34वां अधिवेशन का रविवार को आखिरी दिन था। इस अधिवेशन में विभिन्न धर्मगुरु मौजूद थे। लेकिन मौलाना अरशद मदनी के बयान के बाद अधिकतर ने मंच छोड़ दिया।
क्या कहा अन्य धर्मगुरुओं ने...
जैन मुनि लोकेश ने कहा कि यह अधिवेशन लोगों को जोड़ने के लिए हो रहा है लेकिन ऐसे मौके पर यह बयान कहां तक जायज है। यह कहने के बाद जैन मुनि मंच छोड़कर चले गए। उनके जाते ही अन्य धर्मगुरु भी मंच को छोड़ दिए।
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