मौलाना का बड़ा झूठ, खुद किया खुलासा, पहले कहते थे कि मस्जिद में इकट्ठा होने से बीमार नहीं होंगे

तब्लीगी जमात। जो कल तक कह रहे थे कि मरना ही है तो मस्जिद से अच्छी जगह कोई और नहीं हो सकती है। मस्जिद में इकट्ठा होने से कोरोना नहीं फैलता। डॉक्टर नहीं जानते हैं कि मरीजों का इलाज कैसे करते हैं। आज मौत के आंकड़े और देश में कोरोना की स्थिति देख उनके होश ठिकाने आ गए। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 2, 2020 7:03 AM IST / Updated: Apr 02 2020, 12:44 PM IST

नई दिल्ली. तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद। जो कल तक कह रहे थे कि मरना ही है तो मस्जिद से अच्छी जगह कोई और नहीं हो सकती है। मस्जिद में इकट्ठा होने से कोरोना नहीं फैलता। डॉक्टर नहीं जानते हैं कि मरीजों का इलाज कैसे करते हैं। आज मौत के आंकड़े और देश में कोरोना की स्थिति देख उनके होश ठिकाने आ गए। उन्होंने एक नया ऑडियो जारी किया है। इसमें कहा है, जमात के सभी सदस्यों से अपील करता हूं कि वे देश में जहां कहीं भी हो कानून का पालन करें और अपने घरों में ही रहें। सरकार के निर्देशों का पालन करें और कहीं पर एकसाथ एकत्रित ना हों।

विवाद होने पर गायब हो गए मौलाना साद
निजामुद्दीन तब्लीगी जमात का मामला मीडिया तक पहुंचने पर एफआईआर की बात सामने आई तो मौलाना साद गायब हो गए। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। जो नया ऑडियो जारी हुआ है, उसमें वे दिल्ली में ही सेल्फ क्वारेंटाइन होने का दावा कर रहे हैं। उनका 17 मार्च का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह लोगों से अपील कर रहे थे कि मस्जिद में इकट्ठा होने से कोरोना नहीं फैलता है। यह दूसरों की साजिश है। 

साद ने पुराने ऑडियो में क्या-क्या कहा था ?
- ऑडियो में कहा जा रहा है कि ये ख्याल बेकार ख्याल है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी। ये ख्याल बिल्कुल बेकार है। 
- मैं कहता हूं अगर तुम्हारे तजुर्बे में नजर भी आ जाए कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई हो नहीं सकती है।
- सीधी बात। हाय हाय साहबान तमन्ना करते थे काश दावत देते हुए मौत आए। काश नमाजे मत आए। इन्हें नमाज में खतरात नजर आ रहे हैं ये नमाज। इन्हें नमाज में खतरा नजर आ रहा है। नमाज छोड़कर भागेंगे इसलिए ताकि बीमारी हट जाए। 
- अल्लाह बीमारी लाए हैं। नमाज छोड़ने की वजह से...सोचिए तो सही कैसी उल्टी सोच है। अल्लाह बीमारी ला रहे हैं। मस्जिदों को छोड़ने की वजह से। 
- ये बीमारी हटा रहे हैं मस्जिदों को छोड़ने के जरिए से। सोचिए तो सही कितनी उल्टी सोच है। ये शैतान का रहम और वसा है और गैर लोग हैं जो ऐसे मौकों का फायदा उठाकर दुनियावले हम जानते हैं तुम मौलवी उलेमा क्या जानो?
- बीमारियां दूर कैसे होती हैं वो डॉक्टर जानते ही नहीं सिर्फ उन डॉक्टर की राय काबिल ए कबूल हो सकती है जो डॉक्टर खुद दीनदार हो और  अल्लाह से डरने वाला हो और अमल करने वाला हो वो भी अगर ऐसा मशविरा दोता है तो उसकी भी बता नहीं मानी जाएगी। 
- आदमी ये कहे कि मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए। मस्जिदों को ताले लगा देने चाहिए इससे बीमारी बढ़ेगी इस ख्याल को दिल से निकाल दो।

कौन है मोहम्मद साद? 
तब्लीगी जमात प्रमुख मोहम्मद साद पहली बार विवादों में नहीं है। इससे पहले उनके खिलाफ दारुल उलूम देवबंद से फतवा जारी हो चुका है। 1965 में दिल्ली में जन्मे साद की पहचान मुस्लिम धर्मगुरु के तौर पर होती है। उनका पारिवारिक संबंध तब्लीगी जमात के संस्थापक मौलान इलियास कांधलवी से है। साद ने अपनी पढ़ाई 1987 में मदरसा कशफुल उलूम, हजरत निजामुद्दीन और सहारनपुर से पूरी की। 1990 में उनकी शादी सहारनपुर के मजाहिर उलूम के प्रिसिंपल की बेटी से हुई। 

क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?
निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। 

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