बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को अपने जन्मदिन पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा चुनाव में अपनी सहयोगी रही समाजवादी पार्टी (सपा) पर कोई टिप्पणी नहीं की।
लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को अपने जन्मदिन पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा चुनाव में अपनी सहयोगी रही समाजवादी पार्टी (सपा) पर कोई टिप्पणी नहीं की। हालांकि संवाददाताओं ने जब मायावती से यह पूछा भी कि वह सपा के बारे में खामोश क्यों हैं तो उन्होंने कहा कि वह आज सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय दलों के बारे में बात कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार द्वारा केवल अपनी जिद व अड़ियल रवैये पर कायम रहने के कारण ही यह सीएए पहली नजर में विभाजनकारी व असंवैधानिक लगता है और जिस कारण ही सरकार व भाजपा के लाख प्रयासों के बावजूद लोगों में अनेकों प्रकार की भ्रन्तियां हैं और इसका देशभर में हर जगह अप्रत्याशित व अभूतपूर्व तौर पर जर्बदस्त विरोध हो रहा है।"
इस बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके बसपा नेता मायावती को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि "बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।"
सपा को लेकर कुछ भी नहीं बोली मायावती
मायावती का संवाददाता सम्मेलन करीब 21 मिनट चला। संवाददाता सम्मेलन के बाद जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि वह सपा पर कुछ क्यों नहीं बोलीं तो उन्होंने कहा कि उनका जन्मदिन पूरे देशभर में जनकल्याणकारी दिवस के रुप में मनाया जाता है और इसीलिए उन्होंने ज्यादातर केन्द्र से सम्बन्धित देश के खास व ज्वलन्त मुद्दों पर ही अपनी बात देश की जनता के समक्ष रखी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "यदि मुझे इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार एवं यहाँ की राजनीति के बारे में बात करनी होती तो यकीनन इतना समय और भी लग जाता, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार जनहित व जनकल्याण के विरूद्ध एक ऐसी सरकार है जिसके संकीर्ण व गलत कार्यकलापों के कारण यहाँ की समस्त 22 करोड़ जनता काफी दुःखी व त्रस्त है।"
उत्तर प्रदेश के दो शहरों में कमिश्नर पुलिस प्रणाली लागू होने सम्बन्धी एक सवाल पर मायावती ने कहा कि "जब तक भाजपा सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम नहीं करेगी तबतक इस प्रकार के सरकारी कदम उठाने का कोई भी सही लाभ जनता को नहीं मिलने वाला है।"
योगी सरकार पर साधा निशाना
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं है बल्कि अपराधियों का ही हर तरफ जंगलराज है। क्या उत्तर प्रदेश सरकार हमारी सरकार की तरह अपनी पार्टी के सांसदों व विधायकों आदि के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करके दिखा सकती है ताकि सरकार का इकबाल बुलन्द रहे व आमजनता सुख-शान्ति से अपना जीवन व्यतीत कर सके? केवल व्यवस्था बनाने से नहीं बल्कि अपराध नियन्त्रण व बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, जो खासकर उ.प्र. सरकार में थोड़ी भी अबतक दिखायी नहीं पड़ती है।"
केन्द्र सरकार के रवैये पर उठाए सवाल
सीएए, एनआरसी व एनआरपी सम्बन्धी एक अन्य सवाल पर मायावती ने कहा, "देश की आमजनता के जीवन को सीधे तौर पर नोटबन्दी आदि की इमरजेन्सी की तरह ही प्रभावित करने वाले इन मामलों में केन्द्र सरकार को आमसहमति बनाकर ही काम करना चाहिये था। लेकिन केन्द्र सरकार ने इसके विपरीत काम करते हुये ना तो कोई सर्वदलीय बैठक बुलाई और ना ही इन विषयों को बेहतर विचार-विमर्श के लिए संसदीय समिति को भेजा, जबकि बसपा बार-बार इस प्रकार का आग्रह केन्द्र सरकार से करती रही कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पारित करने से पहले इसे स्टैडिंग समिति को भेजा जाये, ताकि पूर्णतः सही व संवैधानिक तौर पर यह विधेयक तैयार होकर कानून के तौर पर जनता के सामने आ सके।"
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)