बच्चों का भविष्य गढ़ने की जिद ने इस मां को बना दिया बिजनेस वुमेन, सिर्फ 2000 से हुई स्टार्टअप की शुरूआत

कहते हैं कोई मां अपने बच्चों को जो कर सकती है, वह दुनिया को कोई दूसरा इंसान नहीं कर सकता है। ऐसी ही एक मां का नाम है शमा परवीन, जिन्होंने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए एक स्टार्टअप शुरू किया।

Shama Parveen Success Story. किसी भी मां को जब यह लगने लगता है कि उसके बच्चों का भविष्य अधर में है और पैसों की वजह से उनका मुस्तकबिल नहीं सुधर पाएगा तो वह हर काम करना चाहती है। ऐसी ही एक जुझारू मां का नाम शमा परवीन है। शमा के शौहर की कमाई ठप हुई और बच्चों का भविष्य धुंधला नजर आने लगा तो शमा परवीन ने खुद ही सूई-धागा उठाया और परिवार को भविष्य गूंथने की शुरूआत कर दी। मेहनत ऐसी हुई कि सिर्फ 2000 रुपए से शुरू किया गया उनका काम स्टार्टअप बन गया और आज वे अच्छी-खासी कमाई कर रही हैं। आखिर क्या है शमा परवीन की सक्सेस स्टोरी।

क्यों शुरू करना पड़ा शमा परवीन को काम

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शमा बताती हैं कि उनके पति हबीबुर्ररहमान जरी के कारीगर हैं लेकिन मशीनें आ जाने के बाद कमाई लगभग खत्म सी हो गई। हुनर होते हुए भी मशीनों की वजह से उनकी कमाई बहुत कम हो गई। इसके बाद कोरोना महामारी ने तो मानों हालात को और मुश्किल बना दिया। परिवार पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया तो शमा परवीन ने खुद ही काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने काम को स्टार्टअप का शक्ल दे दिया।

2000 रुपए से हुई शुरूआत

शमा कहती हैं कि उनकी बेटी के कहने पर मैंने 2020 में क्रोशिया से बैग बनाना शुरू कर दिया। लखनऊ के पुराने बाजारों से 2000 रुपए में सामान खरीदा और पहली बार कुल 10 बैग बनाए। फिर मैंने उस बैग को एग्जिबिशन में स्टॉल लगाकर बेचने की सोची। उस प्रदर्शनी में सारे के सारे 10 बैग बिक गए और यहीं से शमा परवीन का हौंसला बढ़ता चला गया। इसके बाद इनकी बेटी ने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और इंस्टाग्राम पर रोप डीड के नाम से पेज शुरू किया। यह पेज बेटी ही हैंडल करती है। इस पेज पर एक एंफ्लूएंसर की नजर पड़ी और उसे बैग्स काफी पसंद आए। उन्होंने दो बैग का ऑर्डर दिया। शमा कहती हैं कि हमने 2000 रुपए का कच्चा माल खरीदा और 30 हजार रुपए कमाए, जिससे आगे बढ़ने का मौका मिला।

कितनी है शमा परवीन के क्रोशिया बैग की कीमत

शमा के क्रोशिया से बने बैग की कीमत 680 रुपए से शुरू होती है और क्वालिटी के हिसाब से कीमत बढ़ती जाती है। शमा कहती हैं कि उम्र ज्यादा होने की वजह से आंखों से पारी गिरने लगता है, हाथ में दर्द होता है लेकिन बच्चों की वजह से कभी उत्साह कम नहीं होता। वे कहती हैं कि कम कीमत के कारण उनके बैग की डिमांड है और आगे भी वे इसी तरह से काम जारी रखेंगी।

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