Jammu-Kashmir: हार का खौफ या कोई और वजह, जानें क्यों चुनाव नहीं लड़ेंगी महबूबा

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आगामी विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में मुख्यमंत्री बन भी गईं तो अपनी पार्टी का एजेंडा लागू नहीं कर पाएंगी।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य की राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारी में लगी हैं। प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया जा रहा है। इस बीच पूर्व सीएम और PDP (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने हार के डर से यह फैसला किया या कोई और वजह है इसके बारे में जानकारी दी है।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जिस तरह के हालात हैं उसे देखते हुए अगर वह मुख्यमंत्री बन भी जाती हैं तो अपनी पार्टी का एजेंडा लागू नहीं कर पाएंगी। इसलिए उनकी जगह उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती इस बार चुनावी मैदान में उतरेंगी।

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महबूबा मुफ्ती बोलीं- FIR वापस नहीं ले सकती तो सीएम क्यों बनूं

महबूबा ने कहा, "मैं भाजपा के साथ गठबंधन कर बनी सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं। 2016 में हमारी सरकार ने 12,000 लोगों के खिलाफ FIR रद्द कर दी थी। क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं?"

उन्होंने कहा, "भाजपा के साथ गठबंधन के बाद भी मैंने अलगाववादियों को पत्र लिखा। उन्हें बातचीत के लिए बुलाया। क्या आप ऐसा आज कर सकते हैं? मैंने ग्राउंड पर सीजफायर कराया। क्या आज आप ऐसा कर पाएंगे? मुख्यमंत्री होकर भी अगर आप FIR वापस नहीं ले सकते तो यह पद पाने से क्या होगा?"

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अबदुल्ला द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर दिल बदलने के बारे में पूछे जाने पर पूर्व सीएम ने कहा, "उमर ने खुद कहा कि चपरासी के तबादले के लिए भी उन्हें उपराज्यपाल के दरवाजे पर जाना पड़ेगा। मुझे चपरासी के तबादले की चिंता नहीं है, लेकिन क्या हम अपना एजेंडा लागू कर सकते हैं?"

कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बोलीं महबूबा- हम हमेशा अकेले लड़े हैं

चुनाव से पहले कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया है। क्या आप भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती हैं? इसपर महबूबा ने कहा, "हम हमेशा अकेले लड़े हैं। 1999 में हमारी पार्टी की स्थापना से ऐसा हो रहा है। हम जनता की मदद से लड़ते हैं ताकि लोगों की मदद कर सकें। हम कांग्रेस का हिस्सा थे। मैं कांग्रेस पार्टी की नेता थी। मेरे पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद सांसद थे। हमने पार्टी छोड़ दी और एक ऐसा मंच बनाया जिससे लोगों की तकलीफें दूर कर सकें।"

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