देश में इस समय 'बिजली संकट' की आहट को लेकर कई राज्यों में चिंता का दौर चल रहा है। इस बीच एक Good News है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को देश में 40 नई कोयला खदानों(coal mines) की नीलामी( auction) की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नई दिल्ली. कोयला मंत्रालय (ministry of coal)ने कोयले की बिक्री करने के लिए 40 नए कोयला खदानों के नीलामी की अगले दौर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्रालय द्वारा एक रोलिंग नीलामी तंत्र लागू किया गया है, इसलिए पिछली बार स्थगित की गई कोयला खदानें भी इसमें नीलाम होंगी। केंद्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 12 अक्टूबर को मंत्रालय में इसकी शुरुआत की।
नहीं आएगा बिजली संकट
बिजली संकट की आहट को लेकर शुरू हुई राजनीति के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोयला क्षेत्र में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था के लिए मूल्य को अनलॉक करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इन नीलामियों के जरिये आत्मानिर्भर भारत की दिशा में एक पहल होगी। इससे भारत में कोयले के आयात में कमी आएगी।
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कोयला ब्लॉक की नीलामी का तीसरा चरण
यह कोयला ब्लाक की नीलामी का तीसरा चरण है। पहले के दो चरणों में 28 ब्लाक की नीलामी हुई थी। कोयला मंत्रालय कुल 88 कोयला ब्लाकों की नीलामी करेगा। इसमें से 48 ब्लाक को पिछले बार कोई खरीदार नहीं मिला था। सरकारी एजेंसियों के सर्वे के मुताबिक इन 88 कोयला ब्लाकों में 5.50 करोड़ टन कोयला संभावित है। ये ब्लाक झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रेदश, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश व असम में स्थित हैं।
3.81 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
सरकार का मानना है कि अगर सभी 88 ब्लाक नीलाम हो गए, तो 3.81 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। नीलामी को सरल और सहज बनाने कोयला मंत्रालय आवंटन के बाद होने वाले समझौते में कई नए नियम जोड़ेगा। इसका मकसद खनन संचालन से लेकर खान बंद करने, कोयला निकालने में नई तकनीक के उपयोग और खनन में कठिनाई होने पर उसे वापस लौटाने के नियम शामिल हैं। इन कोयला खदानों में संरक्षित स्थलों, अभयारण्य या 40 फीसद से ज्यादा वन क्षेत्र वाले स्थलों को दूर रखा गया है। इस नीलामी प्रक्रिया में वे कंपनियां भी भाग ले सकती हैं, जिनका पहले से कोई अनुभव नहीं है। कंपनियों को खनन से निकले कोयले के उपयोग की पूरी छूट होगी।
नितिन गडकरी ने वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल पर जोर दिया
इधर, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री(Union Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी ने वैकल्पिक ईंधन को अपनाने पर जोर दिया है जो आयात का विकल्प, किफायती, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी होगा और ईंधन के रूप में पेट्रोल या डीजल के उपयोग को हतोत्साहित करेगा। ‘भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा)’ द्वारा 'वैकल्पिक ईंधन-आगे की राह' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैकल्पिक ईंधन के रूप में जैव-इथेनॉल का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बहुत कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ एक स्वच्छ ईंधन है। उन्होंने कहा कि जो अतिरिक्त आय उत्पन्न होती है वह सीधे किसानों को दी जाती है, जो ग्रामीण और पिछड़ी अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती है।
गडकरी ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन क्षमता और ईंधन के रूप में इसकी उपयोगिता को देखते हुए, सरकार ने ई-20 ईंधन कार्यक्रम को फिर से डिजाइन और लॉन्च किया है, जो भारत में 2025 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत मिश्रण में बायो-इथेनॉल का उपयोग सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी गणना की है कि 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने के लिए, देश को 2025 तक लगभग 10 अरब लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, चीनी उद्योग देश में मिश्रित ईंधन के रूप में इथेनॉल की मांग में 90 प्रतिशत का योगदान देता है।