- Home
- National News
- उर्जा मंत्रालय का आदेश: बिजली वितरण और हानि की होगी ऑडिट, अधिकारियों की तय होगी जवाबदेही
उर्जा मंत्रालय का आदेश: बिजली वितरण और हानि की होगी ऑडिट, अधिकारियों की तय होगी जवाबदेही
- FB
- TW
- Linkdin
बिजली संबंधित सभी डेटा डिस्कॉम के पास रहेगा
बिजली वितरण से लेकर एरिया के हिसाब से ट्रांसमिशन-लॉस या खपत का एक एक विवरण डिस्कॉम (DISCOM) को उपलब्ध कराया जाएगा। डिस्कॉम इस डेटा पर काम करते हुए एनर्जी लॉस को कम करने या खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
बनेगी बिजली कन्जर्वेशन और लॉस की रिपोर्ट
बिजली वितरण कंपनियां एक रिपोर्ट बनाएंगी जिसमें उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों द्वारा बिजली की खपत और विभिन्न क्षेत्रों में कन्जर्वेशन और वितरण लॉस के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। यह उच्च नुकसान और चोरी के क्षेत्रों की पहचान करेगा जिससे सुधार के कदम उठाए जा सके। यह उपाय नुकसान और चोरी के लिए अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने में भी सक्षम होगा। डेटा डिस्कॉम्स को अपने बिजली के नुकसान को कम करने के लिए उचित उपाय करने में सक्षम करेगा। डिस्कॉम उपयुक्त बुनियादी ढांचे के उन्नयन के साथ-साथ मांग पक्ष प्रबंधन (डीएसएम) प्रयासों की प्रभावी तरीके से योजना बनाने में सक्षम होंगे।
सितंबर 2020 में, एक अलग अधिसूचना के माध्यम से, सभी विद्युत वितरण कंपनियों को ईसी अधिनियम के तहत नामित उपभोक्ता (डीसी) के रूप में अधिसूचित किया गया था। संपूर्ण वितरण प्रणाली और खुदरा आपूर्ति व्यवसाय पर ऊर्जा ऑडिटिंग के संभावित लाभों के कारण, व्यापक दिशानिर्देशों और ढांचे का एक सेट विकसित करना अनिवार्य था, ताकि पूरे भारत में सभी वितरण उपयोगिताओं का पालन किया जा सके और कार्रवाई तैयार की जा सके।
दरअसल, देश में कोयले की कमी की वजह से बिजली का संकट पैदा होता जा रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद फिर से इंडस्ट्रीज खुल रहे हैं। ऐसे में बिजली की खपत बढ़ी है तो कोयले की मांग भी बढ़ रही है। उधर, कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले का स्टॉक खत्म होता जा रहा है। ऐसे में कोयले की कमी से बिजली प्रोडक्शन पर बड़ा असर पड़ रहा। क्योंकि 70 प्रतिशत बिजली का प्रोडक्शन कोयला से ही होता है।
आज की तारीख में हालात यह है कि कहीं तीन दिन का कोयला बचा है तो कहीं दो दिन का। ऐसे में अगर कोयला की कमी पूरी नहीं हुई तो पूरे देश को ब्लैकआउट का सामना करना पड़ सकता है।
देश में कोयला के संकट (coal reserve crisis) से ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। सरकार के इनकार व दिलासा के बावजूद लगातार चल रहे मीटिंग्स के दौर से संकट की गंभीरता को आसानी से समझा जा सकता है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संकट से उबरने के लिए हर उपयोगी पहलुओं पर उर्जा और कोयला मंत्रियों के साथ मीटिंग की है।
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को कहा कि अधिकांश बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी है। बिजली संयंत्रों में केवल केवल 2-3 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक बचा है। एनटीपीसी ने अपने संयंत्रों की उत्पादन क्षमता को 50 से 55% तक सीमित कर दिया है। पहले 4000 मेगावाट बिजली मिलती थी, लेकिन अब आधी भी बिजली नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि नियमानुसार किसी भी पावर प्लांट में पंद्रह दिन से कम का स्टॉक नहीं होना चाहिए। लेकिन स्थितियां उलट हैं। अब अगर स्थितियों को नहीं संभाला गया तो वह बिगड़ सकती हैं।
यह भी पढ़ें:
बेखौफ आतंकवादी: पीर पंजाल रेंज में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में चार जवान शहीद
जम्मू-कश्मीर में एनआईए की रेड: कर्नाटक में दामुदी की गिरफ्तारी के बाद तेज हुई कार्रवाई