मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने X प्रोफ़ाइल से क्यों हटाया ‘हुर्रियत चेयरमैन’ का टैग? साजिश या सियासत

Published : Dec 26, 2025, 11:28 AM IST
mirwaiz umar farooq removes hurriyat chairman from x profile kashmir

सार

Kashmir Political Shift: मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने अपने X और फेसबुक प्रोफ़ाइल से ‘हुर्रियत चेयरमैन’ का पदनाम क्यों हटाया? क्या यह कश्मीर में अलगाववादी राजनीति के अंत का संकेत है? पूरी वजह और राजनीतिक मायने पढ़ें।

Mirwaiz Umar Farooq News: कश्मीर घाटी की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। घाटी के प्रमुख धर्मगुरु और अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने अपने सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से ‘चेयरमैन ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ का पदनाम हटा दिया है। इस छोटे से बदलाव ने बड़े राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या मीरवाइज़ ने कश्मीर की अलगाववादी राजनीति को अलविदा कह दिया है, या इसके पीछे कोई मजबूरी छिपी है?

X और फेसबुक प्रोफ़ाइल में क्या बदला गया?

मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने अपने वेरिफाइड X (पहले ट्विटर) और फेसबुक अकाउंट से ‘हुर्रियत चेयरमैन’ का उल्लेख हटा दिया है। अब उनके X बायो में सिर्फ़ नाम और बेसिक लोकेशन की जानकारी है। फेसबुक प्रोफ़ाइल में उन्हें केवल ‘कश्मीरी मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता’ के रूप में दर्शाया गया है। उनके X अकाउंट पर दो लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं, जिससे यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

 

 

क्या यह फैसला दबाव में लिया गया?

इस सवाल का जवाब खुद मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वे अपने सोशल मीडिया हैंडल से ‘हुर्रियत चेयरमैन’ का पदनाम हटाएं। वजह यह बताई गई कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और उसके सभी घटक संगठन, जिनमें अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, UAPA कानून के तहत बैन किए जा चुके हैं। ऐसे में हुर्रियत अब एक प्रतिबंधित संगठन माना जाता है। मीरवाइज़ के मुताबिक, अगर वे यह बदलाव नहीं करते तो उनका सोशल मीडिया अकाउंट बंद किया जा सकता था।

सोशल मीडिया उनके लिए क्यों जरूरी है?

मीरवाइज़ ने साफ कहा कि आज के समय में जब सार्वजनिक सभाओं, राजनीतिक गतिविधियों और बातचीत के रास्ते बहुत सीमित हो गए हैं, तब सोशल मीडिया उनके लिए अपने लोगों और बाहरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे अहम माध्यम है। ऐसी स्थिति में उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था।

क्या यह अलगाववादी राजनीति से दूरी का संकेत है?

सूत्रों का कहना है कि यह कदम सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संकेत हो सकता है। माना जा रहा है कि उदारवादी हुर्रियत की प्रमुख आवाज़ मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ अब धीरे-धीरे अलगाववादी राजनीति से दूरी बना रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है, लेकिन प्रोफ़ाइल से पदनाम हटाना कई सवाल खड़े करता है।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का प्रभाव क्यों घटा?

1993 में बनी ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कभी कश्मीर की राजनीति में बेहद ताकतवर मानी जाती थी। बंद, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक लामबंदी में इसकी बड़ी भूमिका रहती थी। लेकिन पिछले एक दशक में अंदरूनी कलह, नेताओं की गिरफ्तारी और केंद्र सरकार की सख्त नीतियों के चलते संगठन कमजोर होता चला गया। 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद हालात और बदले, जब हुर्रियत के ज़्यादातर घटकों पर बैन लगा दिया गया।

आगे क्या बदलेगा?

मीरवाइज़ का यह कदम कश्मीर की राजनीति में एक नए दौर की ओर इशारा करता है या सिर्फ हालात की मजबूरी है—यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि ‘हुर्रियत चेयरमैन’ का हटना एक साधारण प्रोफ़ाइल एडिट नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक मायने रखने वाला फैसला है।

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