RTI ने पकड़ी पोल, इनकम टैक्स भरने वाले 55% किसानों ने भी ले लिया किसान सम्मान निधि का पैसा

गरीब किसानों की हालत सुधारने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में प्रशासनिक गड़बड़ियों का बड़ा मामला सामने आया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उन किसानों ने भी खूब उठा लिया, जो इनकम टैक्स भरते हैं। यानी योजना के क्राइटेरिया में कहीं से भी फिट नहीं बैठते। इसका खुलासा कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) की राइट टू इनफार्मेशन(RTI) से हुआ है। इस तरह करीब 20 लाख अयोग्य किसानों को 1,368 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया।

दिल्ली. गरीब किसानों की आर्थिक हालत में सुधार लाने सरकारी प्रयासों में प्रशासनिक खामियां या गड़बड़ियां रोड़ा बन रही हैं। ऐसा ही मामला प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में सामने आया है। इस योजना का लाभ उन किसानों को भी मिल गया, जो इनकम टैक्स भरते हैं। इसका खुलासा कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI)से जुड़े वेंकटेश नायक ने RTI में मांगी थी जानकारी के बाद किया है।

ऐसे किसानों ने उठाया योजना का लाभ...
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से आरटीआई में मांगी गई जानकारी के बाद खुलासा हुआ कि योजना का लाभ उन किसानों को भी मिल गया, जो इसकी जरूरी योग्यता नहीं रखते। वहीं, दूसरी कैटेगरी में वे किसान भी हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं। वेंकटेश के अनुसार, योजना का लाभ उठाने वाले 55 प्रतिशत किसान इनकम टैक्स भरते हैं। जबकि इस योजना में ऐसे किसानों को लाभ नहीं दिया जाना था। वहीं, 44.41% ऐसे किसान हैं, जो जरूरी योग्यता पूरी नहीं करते। ऐसे किसानों में पंजाब सबसे ऊपर है। इसके अलावा असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के किसान भी शामिल हैं। 

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इतने लोगों ने उठाया लाभ...
पंजाब में 23.6%  यानी करीब 4.74 लाख) अपात्र किसानों के खाते में योजना के तहत पैसा डाल दिया गया। इसके बाद 16.8% यानी 3.45 लाख किसान असम के हैं। तीसरे नंबर पर आता है महाराष्ट्र। यहां 13.99%  यानी 2.86 लाख अपात्र किसानों से स्कीम का गलत फायदा उठाया। गुजरात में गुजरात में 8.05%  यानी 1.64 लाख और उत्तर प्रदेश में 8.01%  यानी 1.64 लाख अपात्र किसानों ने योजना का लाभ उठाया। सिक्किम में सिर्फ एक अयोग्य किसान ने इसका गलत फायदा उठाया। इस तरह करीब 20 लाख अयोग्य किसानों को 1,368 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया।

यह है योजना...
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 2019 में शुरू की गई थी। मकसद था कि छोटे किसानों को साल में तीन बार 2-2 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाए। इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसमें पटवारी, राजस्व अधिकारी और नोडल अधिकारी ही रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। इस योजना में अब तक 11 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। पश्चिम बंगाल में यह योजना राजनीति के पेंच में फंसी हुई है।

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