मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को मंजूरी मिल सकती है। जिसके बाद किसी भी क्षेत्र में 6 माह से अधिक समय से रह रहे लोगों को अपनी जानकारी उस रजिस्टर में दर्ज करानी होगी।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर मोदी कैबिनेट की मुहर लग गई है। आज यानी मंगलवार सुबह 10.30 बजे केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसको सहमति मिल गई है। जिसके बाद अब सभी लोगों को अपने दस्तावेज अपडेट कराने होंगे। हालांकि कैबिनेट की बैठक में क्या कुछ निर्णय हुए हैं। वह अभी सामने नहीं आ सका है।
नाम दर्ज कराना होगा अनिवार्य
हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना जरूरी होगा। एनपीआर में ऐसे लोगों का लेखा जोखा होगा, जो किसी इलाके में 6 महीने से रह रहे हों। हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा।
जनगणना की तैयारी
कैबिनेट की बैठक में एनपीआर के नवीनीकरण को हरी झंडी मिलने की संभावना है। पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने एनपीआर का भी विरोध किया है। हालांकि यह एनआरसी से पूरी तरह अलग है। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के तहत एक अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है।
यूपीए सरकार में हुई शुरुआत
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है।
एनपीआर और एनआरसी में अंतर
एनपीआर और एनआरसी में बड़ा अंतर है। एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं, एनपीआर में छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।
बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है। एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।