मोरबी पुल हादसे में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, पढ़ें कैसे एक लापरवाही ने ली 140 की जान

140 साल पुराना मोरबी में बना पुल बीते दिनों राज्य सरकार के टेंडर से ओरेवा नामक कंपनी ने जीर्णोद्धार कराया था। रिन्यूवल के लिए सरकार ने टेंडर, ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा समूह को दी थी। यह कार्यदायी संस्था सात महीने तक इस पुल को बंद कर उसको रेनोवेट कराई। काम पूरा होने के बाद बीते 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष के दिन उसे लोगों के लिए खोल दिया गया था।

Gujarat Bridge collapse: गुजरात के मोरबी में पुल गिरने से हुए हादसा में जीर्णोद्धार करने वाले फर्म और अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आ रही है। 140 से अधिक लोगों की मौत की वजह बने इस पुल को दुबारा खोलने के पहले न तो रेनोवेशन करने वाली कार्यदायी संस्था ने फिटनेस सर्टिफिकेट लिया था न ही इसको चालू करने की अनुमति ही ली थी। नगर निकाय प्रमुख ने बताया कि जिस संस्था ने पुल का जीर्णोद्धार कराया था, उसने पुल को सात महीने तक बंद रखा था। पुन: खोलने से पहले न तो फिटनेस सर्टिफिकेट लिया न ही इससे संबंधित कोई अनुमति ली थी। 

140 साल पुराना मोरबी में बना पुल बीते दिनों राज्य सरकार के टेंडर से ओरेवा नामक कंपनी ने जीर्णोद्धार कराया था। रिन्यूवल के लिए सरकार ने टेंडर, ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा समूह को दी थी। यह कार्यदायी संस्था सात महीने तक इस पुल को बंद कर उसको रेनोवेट कराई। काम पूरा होने के बाद बीते 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष के दिन उसे लोगों के लिए खोल दिया गया था। लेकिन चार दिन बाद ही बड़ा हादसा हो गया। पुल टूटने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। जबकि 80 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अभी भी 200 से अधिक लोग लापता हैं।

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मोरबी नगर पालिका के प्रमुख संदीप सिंह बोले-कोई अनुमति नहीं दी

मोरबी नगर पालिका के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने इस दुर्घटना के बाद बताया कि मोरबी पुल के जीर्णोद्धार के बाद उसे खोलने के लिए कोई फिटनेस सर्टिफिकेट अधिकारियों या संस्था ने नहीं लिया था। न ही कोई अनुमति इसके लिए ली गई थी। उन्होंने कहा कि ओरेवा नाम के एक निजी ट्रस्ट ने सरकार का टेंडर मिलने के बाद पुल का जीर्णोद्धार कराया है। मरम्मत के लिए सात महीने से पुल बंद था। 26 अक्टूबर को इसे फिर से खोल दिया गया। लेकिन ओरेवा ने पुल खोलने से पहले अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया था। जाला ने कहा कि यह एक सरकारी निविदा थी। ओरेवा समूह को पुल खोलने से पहले इसके नवीनीकरण का विवरण देना था और गुणवत्ता की जांच करानी थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

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